पुणे में EVM और VVPAT मशीनें रखने के लिए गोदाम बनाने की सरकारी कोशिश पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने सख्त नाराजगी दिखाई है। कोर्ट ने साफ कर दिया कि जिस तरह से रावेत इलाके में खुली जगह को इसके लिए इस्तेमाल करने की तैयारी थी, वो ‘पहली नजर में ही गैरकानूनी’ लगता है।
दरअसल, कुछ लोगों ने इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) डाल रखी है। उनका कहना है कि रावेत में जिस जगह को चुनाव आयोग को दिया जा रहा है, वो जगह पहले से ही पेड़-पौधों और हरियाली के लिए आरक्षित है। इसके अलावा, सरकार ने इस जमीन को लेने के लिए कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं अपनाई।
कोर्ट ने सरकार को घेरा
हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या बिना नियमों का पालन किए और बिना मुआवजा दिए किसी की भी जमीन ऐसे ही ले ली जाएगी? क्या सिर्फ इसलिए कि चुनाव कराना जरूरी है, इसलिए कुछ भी गैरकानूनी तरीके से किया जा सकता है? कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि इस तरह तो पूरा शहर कंक्रीट का जंगल बन जाएगा, लोगों के लिए खुली जगह ही नहीं बचेगी।
चुनाव आयोग ने दिया भरोसा
चुनाव आयोग (ECI) ने कोर्ट में कहा कि अगली सुनवाई तक खुली जगह पर कोई निर्माण नहीं किया जाएगा और वहां लगे पेड़ों को काटा भी नहीं जाएगा।
ये मामला दिखाता है कि सरकारी कामों में भी कई बार नियम-कानून ताक पर रख दिए जाते हैं। कोर्ट की सख्ती के बाद अब देखना होगा कि सरकार और चुनाव आयोग इस मामले को किस तरह सुलझाते हैं।
इस मामले की अगली सुनवाई 18 जून को होगी। सरकार, चुनाव आयोग, और पुणे के संबंधित विभागों को 10 जून तक कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करना है।