मुंबई के वर्ली इलाके से गायब हुआ एक 12 साल का बच्चा अपने परिवार से दोबारा मिल पाया, और ये मुमकिन हुआ एक QR कोड वाले पेंडेंट की बदौलत। यह बच्चा मानसिक रूप से विकलांग है और गुरुवार को घर से खेलते-खेलते खो गया था। करीब 8 घंटे बाद मुंबई पुलिस ने उसे कोलाबा में ढूंढ निकाला और उसके माता-पिता को सौंप दिया।
पुलिस के मुताबिक, मानसिक तौर पर अस्वस्थ होने के कारण बच्चा पूछताछ का जवाब नहीं दे पा रहा था। ऐसे में पुलिस को उसके पास मौजूद सामान से ही कोई सुराग ढूंढना था। कोलाबा पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया कि रात करीब 8.20 बजे एक BEST बस के कंडक्टर ने उन्हें फोन कर जानकारी दी कि एक बच्चा बिना किसी बड़े के साथ मिला है। बच्चे को पुलिस स्टेशन लाया गया।
पुलिस सब-इंस्पेक्टर परमेश्वर गोडसे, पुलिस कांस्टेबल राहुल नेमिस्ते और दीपक देशमुख ने बच्चे को पुलिस स्टेशन में सहज महसूस कराने की कोशिश की और उससे उसके माता-पिता और घर के बारे में पूछा। लेकिन गोडसे के मुताबिक, “बच्चा कुछ भी नहीं बता पा रहा था, बस हमें देखकर मुस्कुराता रहता था।”
ऐसे में पुलिस ने उसकी जेबें टटोलनी शुरू कीं ताकि कुछ ऐसा मिले जिससे उसके परिवार तक पहुंचा जा सके। तभी नेमिस्ते की नज़र बच्चे के गले में पहने एक पेंडेंट पर पड़ी। पहले तो लगा नहीं कि ये पेंडेंट मददगार साबित होगा, लेकिन जब उसे खोलकर देखा गया तो उसमें एक QR कोड मिला।
पुलिस ने तुरंत उस QR कोड को स्कैन किया, जिससे “projectchetna.in” नाम की एक NGO की जानकारी मिली। जब एनजीओ के नंबर पर संपर्क किया गया तो उन्होंने एक लॉगिन आईडी और पासवर्ड दिया। लॉगिन करने पर बच्चे का नाम, पता और परिवार के सदस्यों का फोन नंबर मिल गया। पता चला कि बच्चे के माता-पिता वर्ली पुलिस स्टेशन में पहले से ही बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा चुके थे।
कोलाबा पुलिस ने तुरंत परिवार को सूचना दी, और वे रात करीब 11 बजे बच्चे को लेने पहुंचे। projectchetna.in एनजीओ चलाने वाले अक्षय रिडलान ने बताया कि उनका एनजीओ विशेष बच्चों और बुजुर्गों को ऐसे QR कोड वाले पेंडेंट बांटता है ताकि ज़रूरत पड़ने पर उनके परिवार को ढूंढने में आसानी हो। सितंबर 2023 से शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में अब तक साढ़े पांच हज़ार से ज़्यादा पेंडेंट बांटे जा चुके हैं।