महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों के बाद विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक गलियारों में गहमागहमी बढ़ गई है। अक्टूबर में संभावित इन चुनावों में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महाविकास आघाड़ी (MVA) के बीच होने की संभावना है। लेकिन इन दोनों गठबंधनों के बीच एक तीसरी शक्ति के उभरने की भी खबरें आ रही हैं। किसान नेता राजू शेट्टी, जो स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रमुख हैं, एक तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
राजू शेट्टी की योजना: तीसरा मोर्चा
राजू शेट्टी की योजना है कि राज्य के छोटे दलों को एक साथ लाकर एक परिवर्तन आघाड़ी का गठन किया जाए, जो राज्य में दोनों प्रमुख गठबंधनों का एक विकल्प बन सके। शेट्टी के नेतृत्व में ये गठबंधन छोटे राजनीतिक दलों और नागरिक आंदोलनों से जुड़े नेताओं को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है।
मराठवाड़ा क्षेत्र का दौरा और समर्थन
राजू शेट्टी ने हाल ही में मराठवाड़ा क्षेत्र का दौरा किया, जहां उन्होंने मराठा आरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे लोगों से मुलाकात की। इस दौरे के दौरान उन्होंने मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख चेहरे मनोज जारांगे-पाटिल, एआईएमआईएम नेता इम्तियाज जलील और अन्य दलों के नेताओं से बातचीत की। अगर शेट्टी तीसरा मोर्चा बनाने में सफल रहते हैं, तो राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा की कुछ सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है।
राजू शेट्टी का राजनीतिक सफर
राजू शेट्टी ने 2004 में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन की स्थापना की थी। वर्तमान में उनकी पार्टी का एक विधायक महाराष्ट्र विधानसभा में है। शेट्टी पहले एनडीए और यूपीए दोनों के साथ गठबंधन कर चुके हैं, लेकिन इस बार वे इन दोनों से अलग तीसरी ताकत बनने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले चुनावों में उनकी पार्टी ने पांच उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से एक को जीत मिली थी। शेट्टी महाराष्ट्र में किसानों के मुद्दों को उठाने के लिए जाने जाते हैं, और उनकी तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश को कुछ लोग प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा भी मान रहे हैं।
थर्ड फ्रंट का मकसद और संभावित गठबंधन
राजू शेट्टी की कोशिश है कि उनके थर्ड फ्रंट में वंचित बहुजन आघाड़ी (VBA) के प्रकाश आंबेडकर, प्रहार जन शक्ति पार्टी के बच्चु कडू, एआईएमआईएम और समाजवादी पार्टी जैसे दल शामिल हों। शेट्टी का मानना है कि अगर ये छोटी पार्टियाँ अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में कुछ सीटें जीतती हैं, तो थर्ड फ्रंट 10 से 15 सीटों पर कब्जा कर सकता है। इससे सत्ता में आने वाले गठबंधन के साथ बारगेनिंग की स्थिति बनेगी और थर्ड फ्रंट की अहमियत बढ़ेगी।
किस पर पड़ेगा थर्ड फ्रंट का असर?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर तीसरा मोर्चा बनता है, तो इससे महाराष्ट्र के चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। जब भी राज्य में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ है, तब बीजेपी और शिवसेना को फायदा मिला है। थर्ड फ्रंट के बनने से विपक्षी महाविकास आघाड़ी (MVA) के वोटों में कटौती हो सकती है, जिससे महायुति को फायदा हो सकता है। खासकर प्रकाश आंबेडकर की भूमिका अहम हो सकती है, क्योंकि उनके पास महाराष्ट्र के कई जिलों में अच्छा वोट बैंक है।
ऐसे में अब आने वाले दिनों में देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये थर्ड फ्रंट वाकई में आकार ले पाता है, अगर हां, तो महाराष्ट्र की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है।
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