भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की स्मृति को सम्मान देने के लिए दिल्ली के राष्ट्रीय स्मृति परिसर में एक स्मारक बनाया जाएगा। इस स्मारक के लिए सरकार ने परिसर में 1.5 एकड़ भूमि आवंटित की है, जो पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की समाधि के पास स्थित है।
स्मारक के लिए सरकार का कदम
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने इस योजना की जानकारी मनमोहन सिंह के परिवार को दे दी है। साथ ही, परिवार से अनुरोध किया गया है कि वो स्मारक निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन करें, क्योंकि सार्वजनिक जमीन के आवंटन के लिए ट्रस्ट का होना अनिवार्य है।
परिवार तय करेगा स्मारक की योजना
सूत्रों के अनुसार, डॉ. सिंह के परिवार के सदस्यों से साइट का निरीक्षण करने का अनुरोध किया गया है। हालांकि, परिवार अभी शोक में है और उन्होंने अभी तक इस प्रस्ताव पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। एक अधिकारी ने बताया कि, “परिवार ये तय करेगा कि स्मारक किस प्रकार का होगा। इस पर विचार करने के बाद ही सरकार को सूचित किया जाएगा।”
राष्ट्रीय स्मृति परिसर: भारत के नेताओं का सम्मान स्थल
राष्ट्रीय स्मृति परिसर दिल्ली में यमुना किनारे स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है, जिसे राष्ट्रपतियों, उपराष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और अन्य प्रमुख नेताओं की समाधियों और स्मारकों के लिए विकसित किया गया है। वर्तमान में यहां 7 नेताओं के स्मारक हैं, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पी. वी. नरसिम्हा राव, चंद्रशेखर और आई. के. गुजराल शामिल हैं। अब परिसर में केवल दो स्थान बचे हैं, जो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के लिए आरक्षित हैं।
स्मारक का उद्देश्य
स्मारक का उद्देश्य डॉ. मनमोहन सिंह के 2004-2014 के बीच प्रधानमंत्री के रूप में उनके योगदान और भारत के आर्थिक विकास में उनकी भूमिका को सम्मानित करना है। डॉ. सिंह एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री भी थे, जिनकी नीतियों ने भारत को आर्थिक प्रगति की राह पर आगे बढ़ाया। ये स्मारक लोगों को उनके जीवन और उपलब्धियों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने का काम करेगा।
स्मारक निर्माण की प्रक्रिया
इस साल की शुरुआत में, केंद्र सरकार द्वारा स्मारक की घोषणा के बाद अधिकारियों ने राष्ट्रीय स्मृति परिसर का दौरा किया। शहरी मामलों के सचिव के. श्रीनिवास सहित कई अधिकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार से मुलाकात की और उनकी सहमति मांगी। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय स्मृति परिसर में केवल समाधियां बनाई जा सकती हैं, इमारतों का निर्माण नहीं किया जाएगा।
डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक उनकी स्मृति को जीवित रखने और उनके योगदान को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। ये न केवल उनके प्रति श्रद्धा का प्रतीक होगा, बल्कि लोगों को उनकी नीतियों और जीवन से प्रेरणा लेने का अवसर भी देगा।