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दूध में मिलावट की छुट्टी! महाराष्ट्र सरकार कर रही मकोका कानून लगाने की तैयारी

दूध
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महाराष्ट्र सरकार ने दूध में मिलावट को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। हाल ही में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में सरकार ने दूध मिलावट के खिलाफ मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) कानून लागू करने का प्रस्ताव पेश करने की बात कही है। ये बैठक विधान भवन में उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अध्यक्षता में संपन्न हुई। सरकार का मानना है कि दूध और इससे जुड़े खाद्य पदार्थों में मिलावट एक गंभीर अपराध है, जो लोगों के स्वास्थ्य और जान को खतरे में डालता है। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि सरकार इस समस्या से निपटने के लिए क्या कदम उठा रही है और इसके पीछे क्या कारण हैं।

दूध मिलावट पर मकोका कानून क्यों?
दूध में मिलावट को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार मौजूदा कानूनों में संशोधन करने की तैयारी में है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बैठक में निर्देश दिए कि इस संबंध में एक ठोस प्रस्ताव तैयार कर मंत्रिमंडल के सामने पेश किया जाए। सरकार का कहना है कि दूध में मिलावट न सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि यह एक संगठित अपराध की तरह भी काम करता है। मकोका जैसे सख्त कानून के जरिए मिलावट करने वालों को कड़ी सजा दी जाएगी, ताकि इस अपराध पर पूरी तरह लगाम लग सके।

बैठक का आयोजन क्यों हुआ?
यह बैठक राज्य में बढ़ते मिलावटी खाद्य पदार्थों के मामलों को लेकर बुलाई गई थी। हाल ही में सोलापुर जिले के पंढरपुर तालुका के भोसे गांव में दूध मिलावट का मामला सामने आया था। इसके अलावा, ‘एनालॉग चीज’ को ‘एनालॉग पनीर’ के नाम से बेचे जाने की शिकायतें भी मिली थीं। इन घटनाओं को लेकर विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव उठाया गया था, जिसके बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अध्यक्षता में यह बैठक आयोजित की गई।

दूध मिलावट के लिए कितनी सजा का प्रावधान?
वर्तमान में दूध में मिलावट करने वालों के लिए सिर्फ 6 महीने की सजा का प्रावधान है। इस कम सजा की वजह से आरोपी आसानी से जमानत पर छूट जाते हैं। हालांकि, सरकार ने पहले ही घोषणा की थी कि दूध मिलावट के लिए सजा को बढ़ाकर 3 साल तक किया जाएगा। अगर सजा को 3 साल तक बढ़ाया जाता है, तो आरोपियों को जमानत मिलने में देरी होगी। वहीं, मकोका कानून लागू होने के बाद पहले 6 महीने तक जमानत नहीं मिलेगी। अगर कोर्ट में मामला साबित हो जाता है, तो आरोपी को 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।

मिलावट के मामले में जमानत का खेल
एक जानकारी के मुताबिक, देशभर में नकली और मिलावटी दूध के मामलों में पकड़े गए ज्यादातर आरोपी 1 दिन से लेकर 1 हफ्ते के भीतर जमानत पर छूट जाते हैं। हैरानी की बात यह है कि जमानत के बाद भी 40% आरोपी दोबारा मिलावट के धंधे में शामिल पाए गए हैं। इसीलिए सरकार अब सजा को सख्त करने और मकोका जैसे कानून को लागू करने की दिशा में काम कर रही है।

महाराष्ट्र सरकार का ये कदम दूध मिलावट के खिलाफ एक बड़ी पहल है। मकोका जैसे सख्त कानून के लागू होने से न सिर्फ अपराधियों में डर पैदा होगा, बल्कि आम लोगों को शुद्ध और सुरक्षित खाद्य पदार्थ भी मिल सकेंगे। अगर आप भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखना चाहते हैं, तो नीचे कमेंट करें। साथ ही, इस ब्लॉग को शेयर करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस महत्वपूर्ण कदम के बारे में जान सकें।

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