महाराष्ट्र में एक चर्चित आपराधिक मामले में नया मोड़ आया है। बदलापुर दुष्कर्म मामले के आरोपी अक्षय शिंदे के माता-पिता ने बॉम्बे हाई कोर्ट में ये बयान दिया है कि वे अपने बेटे की मौत से जुड़ा मुकदमा अब आगे नहीं लड़ना चाहते हैं। गुरुवार, 6 फरवरी को उन्होंने जज रेवती मोहिते डेरे और जज नीला गोखले की बेंच के समक्ष अपनी मंशा जाहिर की। कोर्ट इस मामले में अक्षय की हिरासत में मौत से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार, 8 फरवरी को निर्धारित की गई है।
माता-पिता ने खुद लिया केस बंद करने का फैसला
ये याचिका अक्षय शिंदे के पिता, अन्ना शिंदे द्वारा दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि पुलिस ने उनके बेटे को फर्जी मुठभेड़ में मार दिया। हालांकि, गुरुवार को कार्यवाही के अंत में अक्षय के माता-पिता ने कोर्ट से कहा कि वे अब इस केस को आगे बढ़ाने के इच्छुक नहीं हैं और इसे बंद करना चाहते हैं। उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि उन पर किसी प्रकार का दबाव नहीं है और ये फैसला उन्होंने स्वयं लिया है।
अक्षय शिंदे की हिरासत में मौत का मामला
जानकारी हो कि 2024 में ठाणे जिले के बदलापुर शहर में एक स्कूल के बाथरूम में दो बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था। इस घटना के आरोप में पुलिस ने 24 वर्षीय अक्षय शिंदे को गिरफ्तार किया था, जो उसी स्कूल में अटेंडेंट के रूप में काम करता था। पुलिस जब अक्षय को पूछताछ के लिए मुंबई की तलोजा जेल से ठाणे ले जा रही थी, तब रास्ते में कथित मुठभेड़ के दौरान उसकी मौत हो गई।
मजिस्ट्रेट जांच में पांच पुलिसकर्मी दोषी करार
पिछले महीने, जनवरी 2025 में, मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट में पांच पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया। जांच रिपोर्ट बॉम्बे हाई कोर्ट को सौंपी गई, जिसमें ये संदेह जताया गया कि सितंबर 2024 में हुई इस घटना में पुलिस का आत्मरक्षा में गोली चलाने का दावा संदिग्ध है। मजिस्ट्रेट अशोक शेंगडे की रिपोर्ट में फॉरेंसिक जांच और अन्य साक्ष्यों के आधार पर ये निष्कर्ष निकाला गया कि अक्षय शिंदे की हत्या फर्जी मुठभेड़ में की गई थी। उनके माता-पिता ने भी यही दावा किया था कि पुलिस ने उनके बेटे को सुनियोजित तरीके से मारा।
अब जब अक्षय के माता-पिता ने मुकदमे से पीछे हटने की घोषणा की है, तो ये देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाती है। पुलिस पर लगे गंभीर आरोपों के बावजूद, यदि मामला बंद होता है, तो निश्चित रूप से ये कानूनी प्रक्रिया और न्याय व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर सकता है।
ये भी पढ़ें: सोनू सूद पर धोखाधड़ी का आरोप: लुधियाना कोर्ट ने जारी किया अरेस्ट वारंट