Priyanka Gandhi in Lok Sabha: 13 दिसंबर 2024, संसद का शीतकालीन सत्र। इस दिन को खास बना दिया प्रियंका गांधी वाड्रा ने, जब उन्होंने पहली बार लोकसभा में अपना भाषण दिया। उनके शब्दों में जनता की आवाज थी, संविधान का सम्मान था, और सत्ताधारी पार्टी पर तीखा प्रहार भी। यह भाषण, जिसे प्रियंका गांधी भाषण (Priyanka Gandhi Speech) कहा जा रहा है, न केवल उनके राजनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, बल्कि देश की मौजूदा समस्याओं पर भी सीधा ध्यान खींचता है।
प्रियंका गांधी ने संविधान को क्यों बताया सबसे बड़ी ताकत?
प्रियंका गांधी ने अपने संबोधन की शुरुआत संविधान की महत्ता पर जोर देकर की। उन्होंने कहा, “संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है, यह न्याय और उम्मीद की ज्योति है। इसी संविधान ने हमें सरकार बदलने और अपनी आवाज उठाने का अधिकार दिया है।”
उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि लोकतंत्र में संविधान का स्थान कितना महत्वपूर्ण है। प्रियंका गांधी ने कहा कि हमारे स्वतंत्रता संग्राम ने पूरे देश को एक आवाज दी, और यह वही आवाज है, जिसने हमारे संविधान को गढ़ा। उन्होंने बाबा अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू और मौलाना आजाद जैसे नेताओं के योगदान को याद करते हुए संविधान को हर भारतीय का कवच बताया।
जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय पर प्रियंका का जोर
लोकसभा में प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi in Lok Sabha) ने जातिगत जनगणना को बेहद जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि यह केवल आंकड़ों की बात नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है। उनका तर्क था कि जातिगत जनगणना से यह समझने में मदद मिलेगी कि समाज के विभिन्न वर्गों की स्थिति कैसी है और उन्हें किस तरह की मदद की जरूरत है।
प्रियंका ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने कहा, “जब चुनाव में जातिगत जनगणना की मांग उठाई गई, तो इनके जवाब मजाकिया और गैरजिम्मेदार थे। इससे इनकी गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।”
राजा की कहानी और वर्तमान राजनीति पर कटाक्ष
प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए एक राजा की कहानी सुनाई। उन्होंने कहा, “पहले राजा भेष बदलकर जनता के बीच जाता था, ताकि उनकी आलोचनाएं सुन सके। आज के राजा को भी भेष बदलने का शौक है, मगर उनमें जनता के सवाल सुनने की हिम्मत नहीं है।”
उनके इस कटाक्ष ने सदन में खूब चर्चा बटोरी। यह स्पष्ट था कि वह सत्ताधारी पार्टी के रवैये और प्रधानमंत्री की कार्यशैली पर सवाल उठा रही थीं।
बीजेपी को बताया ‘वॉशिंग मशीन’
प्रियंका ने अपने भाषण में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को ‘वॉशिंग मशीन’ कहते हुए तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “यह सब जानते हैं कि जो भी विपक्ष से बीजेपी में शामिल होता है, उसके दाग वॉशिंग मशीन में धुल जाते हैं। अब यह साफ-सुथरे नेता बन जाते हैं।”
उनके इस बयान पर सदन में हंसी और हंगामा दोनों देखने को मिला। यह बयान उन नेताओं की ओर इशारा था, जो हाल ही में विपक्ष से बीजेपी में शामिल हुए थे।
संसद में चर्चा के बदलते स्वरूप पर चिंता
प्रियंका गांधी ने इस बात पर भी दुख जताया कि आज संसद में आम जनता के मुद्दों पर चर्चा कम होती है। उन्होंने कहा कि पहले बेरोजगारी, महंगाई और किसानों के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होती थी, लेकिन आज यह गायब हो गया है। उन्होंने आदिवासियों की समस्याओं का भी जिक्र करते हुए कहा कि पहले उनके हितों के लिए जो संशोधन होते थे, वे उनकी भलाई के लिए होते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
संविधान को कमजोर करने के आरोप
प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि पिछले 10 सालों में संविधान को कमजोर करने की कोशिशें की गई हैं। उन्होंने कहा, “आरक्षण को कमजोर करने के लिए लेटरल एंट्री और निजीकरण का सहारा लिया जा रहा है। अगर जनता ने समय रहते जागरूकता नहीं दिखाई, तो संविधान बदलने की कोशिशें और तेज हो जाएंगी।”
उनके इस बयान ने सदन में गंभीर बहस को जन्म दिया। यह स्पष्ट था कि प्रियंका अपने पहले भाषण में न केवल सत्ताधारी पार्टी की आलोचना कर रही थीं, बल्कि एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने का संदेश भी दे रही थीं।
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