Rezang La and Border Dispute: हाल ही में लोकसभा में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भारत-चीन सीमा विवाद का मुद्दा उठाते हुए रेजांग ला (Rezang La) का जिक्र किया। उन्होंने चिंता जताई कि चीन लगातार हमारी सीमाओं पर कब्जा कर रहा है, और हमारी सेना को अपनी जमीन से पीछे हटना पड़ रहा है। यह विवाद दशकों पुराना है और भारत-चीन के बीच की कड़वाहट का अहम कारण बना हुआ है। आइए समझते हैं कि रेजांग ला का ऐतिहासिक और सामरिक महत्व क्या है।
अखिलेश यादव का बयान
लोकसभा में अपने भाषण के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि चीन ने हमारी सीमा पर कई गांव बसा दिए हैं और हमारी सेना को अपनी जमीन से हटने पर मजबूर किया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि रेजांग ला मेमोरियल को बफर जोन के चलते हटाना पड़ा और इसका फायदा चीन ने उठाया। अखिलेश ने सवाल किया कि क्या हमारी सीमाएं आज भी वहीं हैं, जहां 75 साल पहले थीं। उनका यह बयान न केवल सीमा विवाद की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि इस मुद्दे पर सरकार की नीति पर भी सवाल खड़ा करता है।
रेजांग ला: भौगोलिक और सामरिक स्थिति
रेजांग ला (Rezang La) भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थित एक महत्वपूर्ण पहाड़ी दर्रा है। यह लद्दाख के चुशूल घाटी और स्पैंगगुर झील के पास है। भारत का दावा है कि यह इलाका पूरी तरह भारतीय सीमा के भीतर आता है, जबकि चीन इसे अपनी सीमा के तहत बताता है। रेजांग ला का सामरिक महत्व इसलिए है क्योंकि यह भारत की सैन्य गतिविधियों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है।
चीन इस दर्रे को रेचिन ला के नाम से बुलाता है और यहां कई बार घुसपैठ की कोशिश कर चुका है। यह वही जगह है, जहां 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान एक ऐतिहासिक लड़ाई हुई थी।
1962 का युद्ध और रेजांग ला
1962 के भारत-चीन युद्ध में रेजांग ला एक अहम युद्ध स्थल रहा। यहां भारत की 13वीं कुमाऊं रेजिमेंट ने चीनी सेना से मुकाबला किया था। मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में केवल 124 भारतीय सैनिकों ने 1,300 से अधिक चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारा। हालांकि, इस लड़ाई में भारत को पीछे हटना पड़ा और 122 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। मेजर शैतान सिंह को उनकी बहादुरी के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
यह लड़ाई भारतीय सेना के साहस और बलिदान की मिसाल है। इसे भारतीय सैन्य इतिहास के गौरवशाली अध्यायों में गिना जाता है।
रेजांग ला मेमोरियल का इतिहास
रेजांग ला मेमोरियल 1963 में चुशूल के पास बनाया गया था। इसे उन सैनिकों की याद में स्थापित किया गया, जिन्होंने 1962 के युद्ध में अपने प्राण न्यौछावर किए। यह मेमोरियल 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस का प्रतीक है।
हालांकि, हाल ही में चीन की बढ़ती घुसपैठ और बफर जोन के कारण इसे मूल स्थान से हटाकर चुशूल के मैदानों में स्थापित करना पड़ा। अखिलेश यादव ने इसे लेकर लोकसभा में कहा कि चीन ने इसे तोड़ दिया, लेकिन सच्चाई यह है कि यह बफर जोन में होने के कारण वहां से हटाया गया।
रेजांग ला और वर्तमान विवाद
आज भी रेजांग ला (Rezang La) भारत-चीन सीमा विवाद का एक अहम हिस्सा है। 1962 के युद्ध के बाद चीन ने इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर ली थी। अब चीन इस क्षेत्र को लेकर आक्रामक रवैया अपनाए हुए है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ रहा है।
रेजांग ला और इसके आसपास के क्षेत्र का महत्व केवल सामरिक नहीं, बल्कि भावनात्मक भी है। यह स्थान भारतीय सेना के बलिदान की गवाही देता है और हमारे सैनिकों के साहस की कहानी सुनाता है।