राजन विचारे, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के ठाणे लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार, इस चुनाव को “गद्दारों बनाम वफादारों” की लड़ाई के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि शिवसेना के विभाजन के बावजूद कार्यकर्ता अभी भी उनके साथ हैं और केवल कुछ नेता ही पार्टी छोड़कर चले गए हैं।
विचारे का कहना है कि जो हुआ उससे शिवसेना और मजबूत हुई है क्योंकि इस घटना से पार्टी से गंदगी और कचरा बाहर निकल गया है। उनका इशारा एकनाथ शिंदे और उनके समर्थकों की ओर है जिन्होंने विद्रोह कर शिवसेना छोड़ दी थी। विचारे का आरोप है कि शिंदे ने अपने स्वार्थों के लिए ही ऐसा किया और उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों से बचने के लिए भाजपा की शरण लेनी पड़ी।
विचारे के मुताबिक उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने पूर्व साथियों से लड़ना है जो अब उनके विरोधी बन गए हैं। लेकिन वह विश्वास जताते हैं कि सच्चे शिवसैनिक अभी भी उनके साथ हैं। उनका दावा है कि राजनीतिज्ञ मतदाताओं के मन को नहीं बदल सकते हैं।
ठाणे एक बड़ा लोकसभा क्षेत्र है जिसमें कई क्षेत्र शामिल हैं। विचारे की प्राथमिकताएं स्टेशनों पर लिफ्ट और एस्केलेटर लगाना, जलमार्गों से कनेक्टिविटी बढ़ाना और ठाणे स्टेशन का विकास करना है। उनका मानना है कि इससे लोगों की आवाजाही आसान होगी।
ठाणे में शिंदे गुट और उद्धव गुट के बीच कड़ी टक्कर है। दोनों ही गुट आनंद दिघे की विरासत का दावा कर रहे हैं और एक-दूसरे पर गद्दारी का आरोप लगा रहे हैं। ऐसे में मतदाताओं के सामने एक बड़ा सवाल है कि वे किसे आनंद दिघे का “असली वारिस” मानते हैं।
इस तरह ठाणे लोकसभा क्षेत्र शिवसेना के विभाजन की लड़ाई का केंद्र बन गया है। दोनों गुट यहां अपनी-अपनी जीत दर्ज करवाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं।