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अनुरा दिसानायके बने श्रीलंका के नए राष्ट्रपति, चीन क्यों है इतना खुश?

अनुरा दिसानायके

अनुरा दिसानायके: श्रीलंका की राजनीति में हाल ही में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। देश ने अपने इतिहास में पहली बार एक वामपंथी नेता को राष्ट्रपति पद पर चुना है। अनुरा कुमारा दिसानायके, जिन्हें ‘AKD’ के नाम से भी जाना जाता है, ने श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है। वे जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) पार्टी से आते हैं और उनकी सोच पूरी तरह से मार्क्सवादी है। उनकी जीत के बाद से ही श्रीलंका की राजनीतिक और आर्थिक दिशा में बड़े बदलाव की उम्मीदें लगाई जा रही हैं।

इस लेख में हम जानेंगे कि अनुरा दिसानायके कौन हैं, उनकी पृष्ठभूमि क्या है, उनका राजनीतिक सफर कैसा रहा और चीन उनके राष्ट्रपति बनने से क्यों खुश हो रहा है। साथ ही, हम इस बात पर भी गौर करेंगे कि उनकी जीत श्रीलंका और भारत के रिश्तों को कैसे प्रभावित कर सकती है।

अनुरा कुमारा दिसानायके: एक निडर नेता का उभार

अनुरा कुमारा दिसानायके का जन्म 24 नवंबर 1968 को श्रीलंका के गाले जिले में हुआ था। वे एक सामान्य परिवार से आते हैं, लेकिन उनका संघर्ष और मेहनत उन्हें राजनीति के शिखर तक ले आई। दिसानायके ने श्रीलंका की राजनीति में कदम 1990 के दशक में रखा और बहुत ही कम समय में एक प्रमुख नेता बनकर उभरे। उनकी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) शुरू से ही मार्क्सवादी विचारधारा को मानती आई है, और दिसानायके ने इसी विचारधारा को आगे बढ़ाया।

दिसानायके ने अपने राजनीतिक करियर में हमेशा भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई है। वे उन नेताओं में से हैं जिन्होंने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। इसी वजह से वे आज श्रीलंका के राष्ट्रपति पद पर काबिज हुए हैं। उनकी जीत को जनता का समर्थन और विश्वास का प्रमाण माना जा रहा है।

चीन के लिए क्यों है खुशी की बात?

अनुरा दिसानायके की मार्क्सवादी पृष्ठभूमि और चीन के प्रति उनकी नजदीकी ने बीजिंग को बहुत खुश कर दिया है। श्रीलंका में चीन का प्रभाव पहले से ही काफी अधिक है, लेकिन अब दिसानायके के राष्ट्रपति बनने से यह और भी बढ़ सकता है। चीन लंबे समय से श्रीलंका में निवेश करता आ रहा है और वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में भी उसकी भूमिका प्रमुख रही है।

चीन को उम्मीद है कि दिसानायके के नेतृत्व में श्रीलंका की आर्थिक नीतियां चीन के हित में होंगी और वे चीन के साथ और अधिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे। हालांकि, यह श्रीलंका की अन्य विदेशी नीतियों पर क्या असर डालेगा, यह देखने वाली बात होगी।

भारत-श्रीलंका रिश्तों पर क्या पड़ेगा असर?

अनुरा दिसानायके की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई देते हुए श्रीलंका को ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ में विशेष स्थान देने की बात कही। भारत और श्रीलंका के रिश्ते पिछले कुछ समय से काफी मजबूत रहे हैं, खासकर 2022 में श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान जब भारत ने उन्हें 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद दी थी।

हालांकि, दिसानायके की चीन-प्रेमी छवि को देखते हुए यह आशंका जताई जा रही है कि वे चीन के साथ और अधिक नजदीकी बढ़ाने की कोशिश करेंगे। इससे भारत-श्रीलंका के रिश्तों में थोड़ी दूरी आ सकती है। लेकिन दिसानायके ने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देते हुए भारत के साथ रिश्ते मजबूत करने की प्रतिबद्धता भी जताई है। अब देखना यह है कि वे अपने कार्यकाल में किस तरह से इन रिश्तों को संतुलित रखते हैं।

क्या बदलेगा श्रीलंका का भविष्य?

अनुरा दिसानायके का राष्ट्रपति बनना श्रीलंका के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है। उनकी नीतियां और उनका दृष्टिकोण देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद कर सकता है। उन्होंने अपने चुनाव अभियान के दौरान भ्रष्टाचार खत्म करने और जनता की भलाई के लिए काम करने का वादा किया था।

चुनाव परिणामों के बाद से ही लोग उनसे उम्मीदें लगाए बैठे हैं कि वे देश को आर्थिक संकट से उबारेंगे और एक नई दिशा देंगे। हालांकि, यह सब कितना सफल होगा, यह तो समय ही बताएगा।

दिसानायके के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही श्रीलंका की राजनीति और अर्थव्यवस्था में कई बदलाव आने की संभावना है। उनके नेतृत्व में देश का भविष्य किस दिशा में जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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