Mithi River Scam ₹65 Crore Fraud: मुंबई की मीठी नदी, जो बारिश के मौसम में शहर की बाढ़ से राहत दिलाने का काम करती है, आज एक बड़े घोटाले की वजह से सुर्खियों में है। इस नदी की सफाई के नाम पर 65 करोड़ रुपये का घपला सामने आया है, जिसने हर मुंबईकर को झकझोर कर रख दिया। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW, Economic Offences Wing) ने खुलासा किया है कि मीठी नदी गाद निकालने (Mithi River Desilting, मीठी नदी गाद निकालना) के लिए जमा किए गए लॉग शीट्स पूरी तरह से जाली थे। इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने ठेकेदारों को करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया। यह खबर उन युवाओं के लिए खास है, जो अपने शहर की हर हलचल को समझना चाहते हैं। आइए, इस पूरे मामले की तह तक जाते हैं और जानते हैं कि यह घोटाला कैसे हुआ।
18 जून 2025 को EOW ने इस घोटाले का एक नया पहलू उजागर किया। जांच में पता चला कि मीठी नदी से गाद निकालने के लिए डंपरों की आवाजाही को दर्ज करने वाली लॉग शीट्स पूरी तरह से फर्जी थीं। इन लॉग शीट्स में डंपरों के नंबर और समय जैसी जानकारी होनी चाहिए थी, ताकि यह साबित हो सके कि गाद को नदी से हटाकर कहीं और ले जाया गया। लेकिन EOW की जांच में सामने आया कि ऐसा कोई काम हुआ ही नहीं। एक EOW अधिकारी ने बताया कि ये लॉग शीट्स सिर्फ कागजों पर बनाई गई थीं, ताकि फर्जी बिल बनाकर BMC से पैसे निकाले जा सकें। इन बिलों को BMC के लेखा विभाग ने बिना पूरी जांच के पास कर दिया, जिससे ठेकेदारों की जेबें भरी गईं।
इस घोटाले की जिम्मेदारी BMC के एक इंजीनियर तायशेट्टे पर थी, जिन्हें लॉग शीट्स को मेंटेन करने का काम सौंपा गया था। लेकिन जांच में साफ हुआ कि इन दस्तावेजों में दर्ज जानकारी पूरी तरह से झूठी थी। EOW का कहना है कि यह सब मुख्य इंजीनियर प्रशांत रामुगड़े के इशारे पर हुआ। रामुगड़े ने तायशेट्टे को फर्जी दस्तावेज तैयार करने के निर्देश दिए थे। इस फर्जीवाड़े से ठेकेदारों को दोहरा फायदा हुआ। एक तरफ, उन्होंने निजी बिल्डरों के लिए निर्माण मलबा हटाने का काम किया, और दूसरी तरफ, मीठी नदी की सफाई के नाम पर BMC से मोटी रकम वसूल की।
मीठी नदी मुंबई के लिए कितनी अहम है, यह हर मुंबईकर जानता है। 18.64 किलोमीटर लंबी यह नदी पवई और विहार झीलों से निकलती है और महिम खाड़ी में जाकर अरब सागर से मिलती है। बारिश के दिनों में यह नदी शहर के लिए एक प्राकृतिक नाला है, जो अतिरिक्त पानी को समुद्र तक ले जाती है। लेकिन सालों से इस नदी में कचरा, सीवेज और औद्योगिक कचरा डाला जाता रहा है, जिससे इसकी हालत खराब हो गई। 2005 की मुंबई बाढ़ के बाद सरकार ने इस नदी की सफाई पर जोर दिया, ताकि बाढ़ जैसी स्थिति दोबारा न आए। इसके लिए BMC और MMRDA ने 2005 से अब तक 1,100 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं। लेकिन इस घोटाले ने साबित कर दिया कि इनमें से करोड़ों रुपये गलत हाथों में चले गए।
EOW की जांच में यह भी सामने आया कि ठेकेदारों ने न केवल फर्जी लॉग शीट्स बनाए, बल्कि गाद डंपिंग साइट्स के लिए फर्जी समझौता पत्र (MoUs) भी जमा किए। इनमें से कई दस्तावेजों पर मृत लोगों के हस्ताक्षर थे, और कुछ में जमीन मालिकों ने साफ कहा कि उन्होंने कोई समझौता किया ही नहीं। BMC के स्टॉर्म वॉटर ड्रेन्स (SWD) विभाग के अधिकारियों ने इन फर्जी दस्तावेजों को बिना जांचे स्वीकार कर लिया। इससे ठेकेदारों को बिना काम किए भुगतान मिलता रहा। EOW का मानना है कि BMC के अधिकारियों ने दस्तावेजों की सत्यता जांचे बिना भुगतान मंजूर किए, जिससे सार्वजनिक धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ।
इस घोटाले में 13 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, जिसमें तीन BMC इंजीनियर, पांच ठेकेदार, तीन मध्यस्थ और दो निजी कंपनी के अधिकारी शामिल हैं। इनमें प्रशांत रामुगड़े, गणेश बेंद्रे और तायशेट्टे जैसे BMC अधिकारी, और एक्यूट डिजाइनिंग, कैलाश कंस्ट्रक्शन, NA कंस्ट्रक्शन, निखिल कंस्ट्रक्शन और JRS इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे ठेकेदार शामिल हैं। दो मध्यस्थ, केतन कदम और जयेश जोशी, को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। ये दोनों कोच्चि की कंपनी मैटप्रॉप टेक्निकल सर्विसेज से गाद निकालने की मशीनें किराए पर देने के काम में शामिल थे। EOW ने इनके फोन से BMC के टेंडर और नकद लेन-देन से जुड़े दस्तावेज बरामद किए हैं।
इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED, Enforcement Directorate) भी जांच कर रहा है। ED ने मुंबई और कोच्चि में 15 जगहों पर छापेमारी की, जिसमें बॉलीवुड अभिनेता डिनो मोरिया के घर और दफ्तर भी शामिल थे। मोरिया और उनके भाई सेंटिनो का नाम केतन कदम के साथ फोन कॉल्स और वित्तीय लेन-देन की जांच में सामने आया। ED यह पता लगा रही है कि क्या इन लेन-देन में घोटाले का पैसा शामिल था। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि ठेकेदारों ने मशीनों के किराए को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया। उदाहरण के लिए, 5 करोड़ रुपये की मशीनों का किराया 8 करोड़ रुपये बताया गया, जिसे बाद में 4 करोड़ रुपये पर सेटल किया गया। इस तरह की अनियमितताओं से BMC को 17 करोड़ रुपये का अतिरिक्त नुकसान हुआ।
यह घोटाला सिर्फ पैसे की बर्बादी की कहानी नहीं है। यह मुंबई की उस उम्मीद को चोट पहुंचाता है, जो मीठी नदी की सफाई से बाढ़ से राहत की थी। नदी की गाद निकालने का काम हर साल मानसून से पहले किया जाता है, ताकि पानी का प्रवाह सुचारू रहे। लेकिन इस घोटाले ने साबित किया कि कागजों पर तो नदी साफ हो गई, लेकिन हकीकत में गंदगी और भ्रष्टाचार की परतें और गहरी हो गईं। EOW और ED की जांच अभी जारी है, और उम्मीद है कि इस फर्जीवाड़े के और राज खुलेंगे।