Versova-Bhayandar Road New Economic Hub: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक बार फिर अपनी दूरदर्शिता से सबका ध्यान खींचा है। हाल ही में मुंबई में वर्सोवा-भायंदर तटीय सड़क परियोजना की समीक्षा के दौरान, उन्होंने एक ऐसी योजना की बात की, जो न केवल मुंबई की आर्थिक तस्वीर को बदल सकती है, बल्कि पर्यावरण की रक्षा को भी प्राथमिकता देती है। इस परियोजना को बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) जैसे आर्थिक केंद्रों की तर्ज पर विकसित करने का उनका सपना, नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणादायक कदम है।
मुंबई, वह शहर जो कभी नहीं सोता, अब एक नए बदलाव की ओर बढ़ रहा है। वर्सोवा से भायंदर तक बनने वाली 26 किलोमीटर लंबी तटीय सड़क, जिसकी कुल लंबाई लिंक सड़कों के साथ 63 किलोमीटर होगी, मुंबई की ट्रैफिक समस्या को हल करने का एक बड़ा कदम है। इस परियोजना की समीक्षा के लिए साह्याद्री गेस्ट हाउस में हुई बैठक में मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट निर्देश दिए कि इस सड़क के आसपास सरकारी जमीन को नए आर्थिक केंद्रों में तब्दील किया जाए। बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, जो आज मुंबई का आर्थिक दिल है, इस परियोजना के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि इन केंद्रों में कारोबारी गतिविधियां, कार्यालय, और रोजगार के अवसर पैदा होंगे, जो मुंबई की अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेंगे।
पर्यावरण के प्रति फडणवीस की संवेदनशीलता इस परियोजना का सबसे खास पहलू है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्सोवा-भायंदर तटीय सड़क (Versova-Bhayandar Coastal Road) का निर्माण मैंग्रोव जंगलों को नुकसान पहुंचाए बिना किया जाए। मैंग्रोव, जो तटीय क्षेत्रों की जैव-विविधता और पर्यावरण संतुलन के लिए महत्वपूर्ण हैं, उनकी रक्षा के लिए मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त मैंग्रोव क्षेत्र विकसित करने का आदेश दिया। यह कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विकास और प्रकृति एक साथ चल सकते हैं। फडणवीस ने यह भी सुनिश्चित किया कि परियोजना की सभी मंजूरियां एक साथ ली जाएं, ताकि कोई देरी न हो। उनका लक्ष्य है कि यह परियोजना दिसंबर 2028 तक पूरी हो जाए।
इस परियोजना के लिए 165 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है, जिसमें से अधिकांश सरकारी जमीन है। फडणवीस ने अधिकारियों को 15 दिनों के भीतर जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, वर्सोवा में मत्स्य पालन विभाग की जमीन को भी इस परियोजना के लिए हासिल करने की बात कही गई। यह सुनिश्चित करने के लिए कि परियोजना समय पर पूरी हो, निविदा प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। छह चरणों में बनने वाली यह सड़क न केवल मुंबई की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी लाएगी।
मुख्यमंत्री ने परियोजना के रखरखाव के लिए भी एक दूरदर्शी योजना पेश की। उन्होंने सुझाव दिया कि तटीय सड़क के लिए एक विशेष विज्ञापन नीति बनाई जाए। होर्डिंग्स और फ्लेक्स बैनरों से होने वाली आय का उपयोग सड़क के रखरखाव के लिए किया जाएगा। इसके लिए एक सलाहकार नियुक्त करने का भी प्रस्ताव है, जो इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाएगा। यह कदम न केवल परियोजना की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करेगा, बल्कि सरकारी खजाने पर बोझ को भी कम करेगा।
वर्सोवा-भायंदर तटीय सड़क का एक हिस्सा, मड से वर्सोवा तक, मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) के साथ मिलकर विकसित किया जाएगा। इस सहयोग से परियोजना की गुणवत्ता और गति दोनों में सुधार होगा। बैठक में बीएमसी आयुक्त भूषण गग्रानी, अतिरिक्त आयुक्त अभिजीत बांगर, ठाणे कलेक्टर अशोक शिंगारे, मुंबई उपनगर कलेक्टर सौरभ कटियार, मीरा-भायंदर नगर आयुक्त श्री शर्मा और MSRDC के प्रबंध निदेशक अनिल गायकवाड मौजूद थे। इन सभी की मौजूदगी से यह साफ है कि यह परियोजना सरकार की प्राथमिकता में है।