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सीएए लागू हुआ, पर पूर्वोत्तर कहता है – थोबड़ा दिखाओ! हम नहीं मानेंगे ये कानून

सीएए लागू हुआ, पर पूर्वोत्तर कहता है – थोबड़ा दिखाओ! हम नहीं मानेंगे ये कानून
Credit: Scroll
लो भइया, CAA वाला कानून तो आखिरकार लागू कर दिया सरकार ने! याद है न, पाकिस्तान-बांग्लादेश-अफगानिस्तान से आए हिंदू-सिख-बौद्धों को नागरिकता मिलेगी। पर एक पेंच है! पूर्वोत्तर (नॉर्थईस्ट) के राज्य बोले हैं – हमपर ये कानून नहीं चलेगा भाई!

अब सवाल उठता है कि पूर्वोत्तर के लोग ऐसे बिदक क्यों गए? तो बात ये है कि वहाँ के ज़्यादातर राज्यों में किसी को भी घुसने-जाने के लिए इनर लाइन परमिट (ILP) लेना ज़रूरी है – अपने देश के लोगों को भी, बाहर वालों को तो पूछो ही मत! ये ILP इसलिए लागू है ताकि पूर्वोत्तर के लोग अपनी अलग संस्कृति और रहन-सहन बचाकर रख सकें। अब इन राज्यों में ट्राइबल लोगों की तादाद भी बहुत है। उन्हें डर है कि सीएए के चक्कर में बाहर से घुसपैठिए आकर बस जाएँगे, तब उनका क्या होगा!

इसके अलावा एक और पेंच है! असम, मेघालय और त्रिपुरा में संविधान की छठी अनुसूची के तहत कुछ विशेष इलाके आते हैं। इन जगहों पर ऑटोनॉमस काउंसिल (खुद का एक तरह का मिनी-राज्य) हैं। कानून में साफ़-साफ़ लिखा है कि जिन राज्यों में छठी अनुसूची के इलाके हैं, उनपर भी सीएए लागू नहीं होगा!

वैसे चिंता की कोई बात नहीं है! जो नॉन-मुस्लिम शरणार्थी पूर्वोत्तर में रहते हैं, वो रहेंगे! पहले जैसे भारत में नागरिक नहीं थे, वैसे ही रह सकते हैं, काम-धंधा कर सकते हैं। अगर सच में नागरिक बनना चाहें, तो दूसरे तरीके भी हैं! लेकिन पूर्वोत्तर के राज्यों ने साफ़ कर दिया है कि इस मामले में वो सरकार से पंगा नहीं लेंगे!

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