टीबी के खिलाफ जंग: टीबी, यानी ट्यूबरक्लोसिस, भारत के लिए एक बड़ी समस्या है. इस बीमारी से हर साल लाखों लोग ग्रस्त होते हैं, और मुंबई भी इससे पीड़ित है. टीबी का इलाज मुश्किल है – लंबे समय तक दवाइयां खानी पड़ती हैं, और मरीज़ को दूसरे लोगों से भी अलग रहना पड़ता है. लेकिन, क्या हो अगर टीबी को होने से ही रोका जा सके? बीएमसी के नए टीकाकरण कार्यक्रम का यही लक्ष्य है.
आमतौर पर, बीसीजी का टीका सिर्फ छोटे बच्चों को लगाया जाता है. लेकिन, इस बार मुंबई में 18 साल से ऊपर के कुछ लोगों को भी यह टीका दिया जाएगा ताकि यह जांचा जा सके कि क्या बड़ों में भी टीबी रोकने के लिए असरदार साबित हो सकता है. बीएमसी के डॉक्टरों का मानना है कि अगर ये प्रयोग सफल रहा, तो टीबी के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने में बहुत मदद मिलेगी. मुंबई में यह ट्रायल टीबी दिवस (24 मार्च) से कुछ समय बाद शुरू होगा. सबसे पहले अप्रैल महीने में कुछ इलाकों का सर्वे करके टीके के लिए सही लोगों को चुना जाएगा, और फिर मई से उनका टीकाकरण शुरू हो जाएगा.
बीएमसी ने बताया है कि सबसे पहले यह टीका उन लोगों को लगाया जाएगा जो टीबी के लिए सबसे ज़्यादा खतरे में हैं. जैसे:
- वे लोग जिन्हें पिछले 5 साल के अंदर टीबी हो चुकी है.
- जो लोग पिछले 3 साल में किसी टीबी के मरीज़ के नज़दीकी संपर्क में रहे हैं.
- जिन्हें डायबिटीज़ की बीमारी है.
- जो लोग स्मोकिंग करते हैं.
- जिनकी सेहत कमज़ोर है, या कुपोषण का शिकार हैं.
- 60 साल से ऊपर की आयु के लोग.
इस पूरे अभियान में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) बीएमसी का पूरा साथ दे रहे हैं.