अयोध्या में आज एक ऐसा नज़ारा देखने को मिला, जैसा सदियों में कभी नहीं हुआ था! भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार सूर्य तिलक हुआ। सुबह 12 बजे ‘अभिजीत मुहूर्त’ के दौरान तीन मिनट तक सूरज की नीली किरणें सीधे रामलला के माथे तक पहुंचीं। पुजारियों के मंत्रोच्चार और भक्तों के जयकारों के बीच ये पल अविस्मरणीय बन गया।
अभिजीत मुहूर्त को हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान किए गए कामों में विशेष सफलता मिलती है। रामलला की पहली सूर्य तिलक के लिए इससे बेहतर मुहूर्त और क्या हो सकता था! इस खास मौके को देखने के लिए हज़ारों भक्त अयोध्या पहुंचे थे। पूरे मंदिर परिसर को फूलों, दीयों और रंगोली से सजाया गया था।
मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के अनुसार, सूर्य तिलक हिंदू धर्म में किसी भी भगवान की मूर्ति का अभिन्न हिस्सा होता है। इसी के बाद मूर्ति को पूजा के योग्य माना जाता है। जैसे ही सूरज की किरणों ने रामलला को छुआ, ऐसा लगा जैसे पूरी अयोध्या ही भगवा रंग में सराबोर हो गई हो। भक्तों ने “जय श्री राम”, “सीता राम” के जयकारों से माहौल को भक्तिमय बना दिया। कई भक्त तो भावुक होकर खुशी के आंसू भी बहाने लगे।
#WATCH राम नवमी के अवसर पर अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर में राम लला के माथे पर 'सूर्य तिलक' लगाया गया।
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— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 17, 2024
रामलला का सूर्य तिलक आस्था और विश्वास की जीत का प्रतीक है। सदियों के इंतज़ार के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होना और अब उस मंदिर में भगवान राम का विराजमान होना हर भक्त के लिए सपने जैसा है। ये सूर्य तिलक इस बात की शुरुआत है कि अयोध्या अब विश्व भर के हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बनने जा रहा है।
सूर्य तिलक के बाद मंदिर परिसर में कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। भव्य भंडारे का आयोजन किया गया था, जिसमें सभी भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। कई जगहों पर रामलीला के दृश्यों का मंचन भी किया गया। सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त के साथ पूरा आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।