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Ajmer Dargah Shiv Mandir: ‘सिर कलम कर देंगे तेरा, अजमेर दरगाह महादेव शिव मंदिर है, जैसे किया दावा, मारने के लिए आने लगे फोन

Ajmer Dargah Shiv Mandir: 'सिर कलम कर देंगे तेरा, अजमेर दरगाह महादेव शिव मंदिर है, जैसे किया दावा, मारने के लिए आने लगे फोन
अजमेर दरगाह से जुड़े एक विवादित मामले में हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता को जान से मारने की धमकी मिली है। यह धमकी उस याचिका के बाद दी गई है, जिसमें दावा किया गया कि “अजमेर दरगाह शिव मंदिर” (Ajmer Dargah Shiv Mandir) है। याचिका को अदालत ने स्वीकार करते हुए सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है, जिससे मामला और गर्म हो गया है।

धमकी भरे फोन और शिकायत दर्ज

विष्णु गुप्ता ने बताया कि उन्हें दो अलग-अलग फोन कॉल्स के जरिए जान से मारने की धमकी दी गई। एक कॉल कनाडा से और दूसरा भारत से आया। फोन करने वालों ने कहा, “तेरा सिर कलम कर दिया जाएगा। अजमेर दरगाह का केस दायर करके तूने बड़ी गलती की है।”

इन धमकियों के बाद गुप्ता ने नई दिल्ली के बाराखंबा थाने में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा, “मैं ऐसी धमकियों से डरने वाला नहीं हूं। हमारा उद्देश्य केवल कानूनी तरीके से अपना हक मांगना है।”


याचिका का आधार: दरगाह या मंदिर?

विष्णु गुप्ता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह असल में “अजमेर दरगाह शिव मंदिर” (Ajmer Dargah Shiv Mandir) है। गुप्ता का कहना है कि यह स्थान ऐतिहासिक रूप से हिंदू पूजा स्थल था और इसे कानूनी प्रक्रिया के जरिए वापस पाने की लड़ाई लड़ी जाएगी।

उन्होंने अदालत से अपील की है कि इस स्थान का सर्वेक्षण कराया जाए ताकि यह तय हो सके कि दरगाह की जगह पर पहले शिव मंदिर था या नहीं। अदालत ने 27 नवंबर 2024 को याचिका स्वीकार कर ली और अगली सुनवाई की तारीख 20 दिसंबर 2024 तय की है।


विष्णु गुप्ता का पक्ष

गुप्ता का कहना है कि उन्होंने किसी की भावनाएं आहत नहीं की हैं। “हम केवल कानूनी तरीके से अपना दावा कर रहे हैं। हमारा मकसद किसी समुदाय को अपमानित करना नहीं है, बल्कि इतिहास को सामने लाना है। अगर दरगाह की जगह पहले शिव मंदिर था, तो इसे साबित करने के लिए निष्पक्ष सर्वे होना चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि धमकियां उन्हें उनके लक्ष्य से नहीं डिगा सकतीं।


अदालत का नोटिस और आगामी सर्वे

दिल्ली की निचली अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने यह सुनिश्चित किया है कि सर्वेक्षण निष्पक्षता से हो। अदालत में पेश दस्तावेज़ और ऐतिहासिक साक्ष्य इस बात को स्पष्ट करेंगे कि यह स्थल मूल रूप से किस धर्म का था।

यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बन गया है।


विवाद की बढ़ती गर्मी

अजमेर दरगाह लंबे समय से भारतीय उपमहाद्वीप में सूफीवाद और धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक रही है। लेकिन इस तरह के दावे ने धार्मिक भावनाओं को भड़काने और सामाजिक ताने-बाने पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

विष्णु गुप्ता के इस कदम के बाद जहां हिंदू संगठनों ने समर्थन दिया है, वहीं मुस्लिम समुदाय ने इसे उनके धर्म पर हमला बताया है।


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