मुंबई के चर्चित अंडरवर्ल्ड डॉन रहे अरुण गवली के लिए अच्छी खबर है! बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी जल्द रिहाई का रास्ता खोल दिया है। कोर्ट ने माना कि गवली को एक पुरानी सरकारी नीति का लाभ मिलना चाहिए, जिसके तहत लंबी सजा काट चुके कैदियों को कुछ शर्तों के साथ छोड़ा जा सकता है।
अरुण गवली, जिनका कभी मुंबई की गलियों में सिक्का चलता था, पिछले 14 सालों से जेल में बंद हैं। उनपर शिवसेना नेता कमलाकर जामसांडेकर की हत्या का आरोप था, और कड़े MCOCA कानून के तहत उन्हें आजीवन कारावास की सजा हुई थी। अब वह 65 साल के हैं, और जेल में रहते हुए उनकी सेहत भी खराब हो गई है।
अरुण गवली और उनके वकील ने एक अनोखी दलील पेश की! उनका कहना था कि गवली को 2006 की उस सरकारी नीति का लाभ मिलना चाहिए जिसमें आजीवन कारावास की सजा पाए कुछ कैदियों को, खास शर्तें पूरी होने पर, रिहा किया जा सकता है। सबसे गौर करने वाली बात यह थी कि 2006 की उस नीति में साफ तौर पर MCOCA जैसे विशेष अपराध शामिल नहीं थे।
गवली ने तर्क दिया कि साल 2012 में जब उन्हें दोषी करार दिया गया था, उस समय पुरानी नीति लागू थी। उनकी मांग थी कि साल 2015 में आई नई नीति उनकी सजा पर लागू नहीं की जा सकती। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस बात से सहमति जताते हुए माना कि गवली साल 2006 की नीति के तहत छूट के हकदार हैं!
अरुण गवली के इस केस का असर उन तमाम कैदियों पर पड़ सकता है, जो विशेष कानूनों के तहत सलाखों के पीछे हैं, लेकिन पुरानी नीतियों के अनुसार रिहाई की शर्तें पूरी करते हैं। यह फैसला अपराध पर लगाम लगाने के सरकारी प्रयासों और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच के संतुलन पर एक बहस भी शुरू कर सकता है।
अदालत ने अपने आदेश में अधिकारियों को कहा है कि वह अरुण गवली को रिहा करने के सभी जरूरी आदेश चार हफ्तों के अंदर जारी कर दें। इससे साफ है कि गवली की जेल से रिहाई तय हो गई है, बस कुछ कानूनी प्रक्रियाएं पूरी होनी बाकी हैं!