बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के एक रवैये पर कड़ी नाराज़गी दिखाई है। पुणे के ससून हॉस्पिटल में काम करते हुए कोविड की चपेट में आकर एक नर्स की मौत हो गई थी। उनके परिवार ने 50 लाख रुपये मुआवज़े की मांग की थी, जिसे सरकार ने ठुकरा दिया है।
मृतक नर्स का नाम अनिता राठौड़ (पवार) था, जो असिस्टेंट मैट्रन के पद पर कार्यरत थीं। अप्रैल 2020 में, कोविड के मरीज़ों का इलाज करते हुए उनकी मौत हो गई थी।
हाई कोर्ट ने कहा कि अनिता राठौड़ उन स्वास्थ्यकर्मियों की टीम में थी जिन्होंने कोविड के समय अपनी जान पर खेलकर लोगों की जान बचाई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी सेहत एकदम ठीक थी, लेकिन कोविड मरीज़ों की देखभाल के दौरान वो बहुत तनाव में थीं। ‘हॉस्पिटल एंड ट्रेन्ड नर्सेज़ एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ ने उन्हें कोविड शहीद भी घोषित किया है।
कोर्ट ने सरकार द्वारा जारी उस आदेश का भी ज़िक्र किया जिसके तहत कोविड ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले सरकारी कर्मचारियों के परिवार को 50 लाख रुपये मिलने का प्रावधान है।
सरकार का ये रवैया बेहद संवेदनहीन है! ऐसे लोगों के लिए, जिन्होंने कोविड में सब कुछ दाँव पर लगा दिया, थोड़ी सहायता करनी ही चाहिए। सरकार को ऐसे टेक्निकल बहाने नहीं बनाने चाहिए!
अनिता राठौड़ के पति, सुधाकर पवार, ने इस मामले में याचिका दायर की थी। पहले इस याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वो मुआवज़े के आवेदन पर फैसला ले। फिर भी जब मुआवज़ा नहीं दिया गया, तो दोबारा कोर्ट जाना पड़ा।