बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ा फ़ैसला सुनाया है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के उस फ़ैसले पर रोक लगा दी है जिससे कई प्राइवेट स्कूलों को RTE कोटे के तहत दाखिले से छूट मिल जाती। कोर्ट का कहना है कि ये फ़ैसला जनहित के ख़िलाफ़ है।
दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने फरवरी में एक नियम बनाया था कि सरकारी या सरकारी मदद पाने वाले स्कूल के 1 किलोमीटर के दायरे में आने वाले प्राइवेट स्कूलों को RTE दाखिले नहीं देने होंगे। RTE का मतलब है ‘राइट टू एजुकेशन’ जिसके तहत प्राइवेट स्कूलों में भी कुछ सीटें गरीब बच्चों के लिए सुरक्षित रखी जाती हैं।
क्यों लिया गया ये फ़ैसला?
इस नियम को चुनौती देते हुए कुछ लोगों ने याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये नियम शिक्षा के अधिकार के मूल कानून के ही खिलाफ है और इससे गरीब बच्चों को नुकसान होगा। कोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए सरकार के फ़ैसले पर रोक लगा दी है।
सरकार का पक्ष
सरकार का तर्क था कि 1 किलोमीटर के भीतर दूसरे सरकारी स्कूल होने पर प्राइवेट स्कूलों पर ज़ोर क्यों डाला जाए? लेकिन कोर्ट ने साफ किया कि सभी को कानून का पालन करना होगा और क्षेत्र में सरकारी स्कूल होने से ये नियम नहीं बदल सकता।
कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों का कहना है कि इससे गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा पाने का हक मिलेगा। ये मामला अभी कोर्ट में है और अगली सुनवाई 12 जून को होगी। सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है।
ये भी पढ़ें: NEET के एग्जाम में हुआ बड़ा घपला! छात्रों का भविष्य दांव पर