देश भर में प्रॉपर्टी खरीददारों के साथ हो रही धोखाधड़ी को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण बयान दिया। अदालत ने कहा कि बिल्डर और प्रॉपर्टी खरीददारों के बीच डील को लेकर एक समान नियम बनना चाहिए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा, “बायर्स पर बिल्डर क्या-क्या चीजें थोप सकते हैं, इसे लेकर एक देशव्यापी नियम होना ही चाहिए। अन्यथा पूरे देश में खरीददारों के साथ बिल्डर धोखा करते रहेंगे।”
धोखाधड़ी का शिकार हो रहे खरीददार
देश भर में प्रॉपर्टी के खरीददार लगातार धोखाधड़ी के शिकार हो रहे हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया। बेंच ने कहा कि एक ऐसा नियम होना चाहिए जो प्रॉपर्टी खरीददारों के हितों की सुरक्षा कर सके और बिल्डरों द्वारा थोपी गई गैर-जरूरी शर्तों को रोका जा सके।
राष्ट्रीय मॉडल बिल्डर-बायर अग्रीमेंट की आवश्यकता
इस मामले में वकील देवाशीष भारुका ने अदालत को सूचित किया कि इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है और बिल्डर और बायर्स के बीच अग्रीमेंट की ड्राफ्ट कॉपी भी दी गई है। इसमें राज्य सरकारों के सुझाव भी शामिल किए गए हैं। अदालत ने क्रेडाई (कनफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डिवेलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) की आपत्तियों पर भी विचार करने का आदेश दिया।
मिडिल क्लास खरीददारों की समस्याएं
जनवरी 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक ‘नेशनल मॉडल बिल्डर-बायर अग्रीमेंट’ होना चाहिए ताकि मिडिल क्लास के घर खरीददारों को राहत मिल सके। कई बार रियल एस्टेट डिवेलपर्स गैर-जरूरी शर्तें लाद देते हैं, जिससे खरीददारों को परेशानी होती है। अदालत का कहना था कि एक स्टैंडर्ड फॉर्म तैयार होना चाहिए, जो हाउसिंग एग्रीमेंट के दौरान भरा जाए। इसमें ऐसी शर्तें रहें, जिससे ग्राहकों के हितों की सुरक्षा की जा सके और इन्हें बदलना भी आसान न हो।
अदालत की अगली सुनवाई
अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई 19 जुलाई तक स्थगित कर दी है। अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि एक स्टैंडर्ड फॉर्म तैयार किया जाए, जो देश भर में प्रॉपर्टी खरीददारों और बिल्डरों के बीच डील को सुरक्षित और पारदर्शी बना सके।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस आदेश के माध्यम से प्रॉपर्टी खरीददारों के हितों की सुरक्षा का संकल्प लिया है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश भर में प्रॉपर्टी खरीददारों को धोखाधड़ी से बचाने में मदद करेगा और उन्हें सुरक्षित और पारदर्शी डील्स का आश्वासन देगा। अब देखना यह है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस दिशा में क्या कदम उठाती हैं।
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