महाराष्ट्रमुंबई

Maharashtra Caste Census: महायुती सरकार पर कांग्रेस का बड़ा आरोप, जाति जनगणना में देरी से पिछड़े वर्ग को भारी नुकसान!

Maharashtra Caste Census: महायुती सरकार पर कांग्रेस का बड़ा आरोप, जाति जनगणना में देरी से पिछड़े वर्ग को भारी नुकसान!
महाराष्ट्र में जाति जनगणना का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने महायुती सरकार पर वंचित समुदायों की उपेक्षा का गंभीर आरोप लगाया है। महाराष्ट्र जाति जनगणना [Maharashtra Caste Census] की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

जाति आधारित आंकड़ों की आवश्यकता

महाराष्ट्र के विभिन्न समुदाय लंबे समय से महाराष्ट्र जाति जनगणना [Maharashtra Caste Census] की मांग कर रहे हैं। इन समुदायों का कहना है कि सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण बढ़ाने के लिए जाति जनगणना बेहद जरूरी है। मानव विकास सूचकांक में इन समुदायों की खराब स्थिति इस बात का प्रमाण है कि उन्हें विशेष ध्यान की आवश्यकता है। जयराम रमेश के अनुसार, जाति आधारित हाशिए पर धकेले जाने का प्रभाव इन समुदायों के मानव विकास सूचकांक के आंकड़ों से साफ झलकता है।

सरकार का रुख और राजनीतिक घमासान

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कई बार आश्वासन दिया है कि वे अन्य राज्यों के मॉडल का अध्ययन करेंगे, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। कांग्रेस का आरोप है कि महायुती सरकार प्रधानमंत्री की तरह ‘भ्रमित करो और राज करो’ की रणनीति अपना रही है। विपक्ष का कहना है कि सरकार जानबूझकर सामाजिक न्याय के मुद्दे पर कार्रवाई में देरी कर रही है। सामाजिक न्याय के लिए जाति जनगणना [Caste Census for Social Justice] को लेकर कांग्रेस ने राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की है।

गठबंधन में मतभेद और आरएसएस का रुख

भाजपा के कई सहयोगी दल भी जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के चिराग पासवान और जनता दल (यूनाइटेड) के नीतीश कुमार ने भी इस मांग को उठाया है। हालांकि, भाजपा इस मुद्दे पर अभी तक स्पष्ट रुख नहीं अपना पाई है। भाजपा की विचारधारात्मक मार्गदर्शक संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सितंबर में कहा था कि जाति जनगणना कल्याणकारी गतिविधियों के लिए उपयोगी हो सकती है, लेकिन इसका चुनावी फायदे के लिए दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।

महाविकास अघाड़ी का दावा और भविष्य की राह

महाविकास अघाड़ी ने 23 नवंबर को सत्ता में वापसी का मजबूत दावा किया है। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहूजी महाराज, डॉ. भीमराव अंबेडकर, अण्णाभाऊ साठे और ज्योतिबा फुले के आदर्शों को पुनर्स्थापित करने का वादा किया है। आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील अंबेडकर ने कहा है कि जाति जनगणना राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से निपटा जाना चाहिए। केरल में एक सम्मेलन के दौरान उन्होंने चेतावनी दी कि इसका उपयोग केवल समुदायों और जातियों के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए, न कि राजनीतिक हथियार या चुनावी मुद्दा बनाया जाना चाहिए।

आरक्षण की सीमा और सामाजिक न्याय

कांग्रेस ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को हटाने की मांग की है। पार्टी का कहना है कि इस नीति को अपनाने से भारत के हर वंचित समुदाय को उनके योग्य अवसर मिल सकेंगे। महाराष्ट्र में कई समुदायों ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में बढ़े हुए आरक्षण की मांग की है। जयराम रमेश के अनुसार, महायुती सरकार से इन समुदायों को कोई सहायता नहीं मिली है, जिससे उनकी स्थिति और भी खराब हो गई है।

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