मुंबई

वेश्यालय में ग्राहक पर तस्करी का आरोप नहीं लगेगा: उच्च न्यायालय

वेश्यालय में ग्राहक पर तस्करी का आरोप नहीं लगेगा: उच्च न्यायालय

मुंबई के उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को जमानत दी है, जिसे वेश्यालय से 2021 में गिरफ्तार किया गया था। उस पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा चलाया गया था।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जो व्यक्ति पैसे देकर व्यावसायिक यौनकर्मी के साथ संबंध बनाने के लिए वेश्यालय में जाता है, वह IPC की धारा 370 के अंतर्गत नहीं आता, जो मानव तस्करी और नाबालिगों को वेश्यावृत्ति में धकेलने से संबंधित है।

पुलिस ने एक सूचना पर छापा मारा था कि नाबालिगों को वेश्यावृत्ति में धकेला जा रहा है। इस छापेमारी में आवेदक सहित चार अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया, जो वेश्यालय चला रहे थे और उन पर नाबालिगों को वेश्यावृत्ति में धकेलने का आरोप था।

न्यायालय ने कहा कि ग्राहक को इस धारा के अंतर्गत नहीं रखा जा सकता। इसके अलावा, वास्तविक मानव तस्करी के आरोपी सह-आरोपियों को सत्र न्यायालय द्वारा जमानत दी गई है।

न्यायालय ने आवेदक को तीन साल से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद 25,000 रुपये के व्यक्तिगत बांड पर रिहा करने का निर्देश दिया है।

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