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ISRO-NASA मिशन: राकेश शर्मा के बाद 40 साल में पहले भारतीय, शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष मिशन

ISRO-NASA मिशन: राकेश शर्मा के बाद 40 साल में पहले भारतीय, शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष मिशन

भारत के स्पेस प्रोग्राम में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। इसरो (ISRO) और नासा (NASA) के पहले जॉइंट मिशन में, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर भेजा जाएगा। यह खबर देश के लिए गर्व का पल है, क्योंकि यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय एस्ट्रोनॉट ISS पर जाएगा।

39 साल के शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए ‘प्राइम’ एस्ट्रोनॉट चुना गया है। इसका मतलब है कि वे इस मिशन के लीड एस्ट्रोनॉट होंगे। उनके साथ-साथ, 48 वर्षीय ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर को बैकअप एस्ट्रोनॉट के रूप में सेलेक्ट किया गया है। यह चुनाव इन दोनों ऑफिसर्स की स्किल्स और एक्सपीरियंस को देखते हुए किया गया है।

इस मिशन को Axiom-4 नाम दिया गया है। यह मिशन एक प्राइवेट स्पेस कंपनी Axiom Space द्वारा NASA के साथ मिलकर चलाया जाएगा। इस मिशन में, शुभांशु शुक्ला के साथ तीन और एस्ट्रोनॉट्स भी शामिल होंगे – एक पोलैंड से, एक हंगरी से, और एक अमेरिका से। ये सभी एस्ट्रोनॉट्स मिलकर ISS की यात्रा करेंगे।

Axiom-4 मिशन 14 दिनों तक ISS के साथ डॉक किया जाएगा। इस दौरान, एस्ट्रोनॉट्स न सिर्फ रिसर्च करेंगे, बल्कि ISS के लिए जरूरी सामान और सप्लाई भी ले जाएंगे। यह मिशन स्पेस रिसर्च और इंटरनेशनल कोऑपरेशन के लिए बहुत अहम है।

शुभांशु शुक्ला और प्रशांत नायर दोनों ही भारत के पहले मानवयुक्त स्पेस मिशन, गगनयान, के लिए चुने गए चार ऑफिसर्स में से हैं। गगनयान मिशन अगले साल लॉन्च होने की उम्मीद है। इन दोनों ऑफिसर्स ने गगनयान मिशन के लिए पहले से ही कड़ी ट्रेनिंग ली है। अब वे इस स्पेशल मिशन के लिए अगले आठ हफ्तों तक और ट्रेनिंग लेंगे।

Axiom-4 मिशन की एग्जैक्ट लॉन्च डेट अभी फाइनल नहीं हुई है। NASA ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि यह मिशन अक्टूबर 2024 से पहले नहीं होगा। वहीं, पोलैंड की स्पेस एजेंसी POLSA का कहना है कि यह मिशन अगले साल हो सकता है।

इसरो के चेयरमैन सोमनाथ ने इस मिशन के बारे में बताते हुए कहा, “यह स्पेशल एक्टिविटी (इंडो-यूएस कोऑपरेशन पर एक स्पेस मिशन) कुछ ऐसा है जो अमेरिका चाहता है और भारत के लिए भी फायदेमंद है। जब एक भारतीय ISS पर जाने की तैयारी करेगा, तो वह अमेरिका में ट्रेनिंग लेगा। फिर वापस आकर अपना एक्सपीरियंस शेयर करेगा। इससे हमारे गगनयान मिशन को बेहतर डिजाइन करने में मदद मिलेगी।”

शुभांशु शुक्ला लखनऊ, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। उन्हें 2006 में इंडियन एयर फोर्स (IAF) में कमीशन किया गया था। उनके पास 2000 घंटे से ज्यादा फ्लाइंग का एक्सपीरियंस है। उन्होंने कई IAF फाइटर जेट्स उड़ाए हैं, जैसे सुखोई-30 MKIs, मिग-21s, मिग-29s, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और AN-32 एयरक्राफ्ट।

प्रशांत नायर IAF अकादमी में ऑनर के स्वॉर्ड विनर रहे हैं। उन्हें 1998 में IAF में कमीशन किया गया था। वे एक कैटेगरी A फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं। उनके पास 3000 घंटे से ज्यादा फ्लाइंग का एक्सपीरियंस है। उन्होंने यूनाइटेड स्टेट्स स्टाफ कॉलेज से पढ़ाई की है और सुखोई-30 स्क्वाड्रन की कमान भी संभाली है।

यह मिशन भारत के स्पेस प्रोग्राम के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा। यह न सिर्फ भारत की टेक्नोलॉजिकल कैपेबिलिटीज को शोकेस करेगा, बल्कि भविष्य के स्पेस मिशन्स के लिए वैल्युएबल डेटा और एक्सपीरियंस भी प्रोवाइड करेगा। शुभांशु शुक्ला और प्रशांत नायर की इस यात्रा से युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी और वे भी स्पेस साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित होंगे।

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