मुंबई: वाडिया अस्पताल की सूचना देने के बाद पुलिस ने बाल तस्करी में सक्रिय एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। यह मामला रायगढ़ से सामने आया जहाँ एक अधूरी गोद लेने की प्रक्रिया के तहत मिली बच्चे को स्वास्थ्य समस्याओं के कारण अस्पताल से पुलिस स्टेशन भेजा गया।
- शुरूआत में 5,000 में बेचा गया: बच्चे को उसकी माँ ने पहले सिर्फ़ 5,000 रुपये में एक परिवार को बेच दिया।
- दूसरी बार 40,000 में बिक्री: पहला परिवार बच्चे का पालन-पोषण करने में सक्षम नहीं था, इसलिए उन्होंने उसे दूसरे परिवार को 40,000 रुपये में बेच दिया।
- मामला दर्ज, जांच जारी: मुंबई पुलिस ने प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने के बाद मामले को रायगढ़ पुलिस को सौंप दिया है।
- आरोपियों की सूची: चंद्रकांत वाघमारे, शेवंती वाघमारे, परशुराम चोगले, मालती चोगले, लक्ष्मी पाटिल, दीप्ति पावसे, भास्कर चुलकर और तुकाराम रामा पाटिल।
रायगढ़ के रहने वाले दंपत्ति परशुराम चोगले और शेवंती चोगले 30 साल की शादी के बाद भी निःसंतान थे। इस समस्या के बारे में लक्ष्मी पाटिल को जानकारी थी और उन्होनें दंपत्ति की मुलाकात दीप्ति पावसे से करवाई, जो आर्थिक परेशानियों के चलते अपने बच्चे को 5,000 रुपये में बेचना चाहती थी।
दीप्ति ने यह बच्चा चंद्रकांत वाघमारे से खरीदा था। पालन करने में आ रही मुश्किलों के कारण दीप्ति ने बच्चे को 40,000 में बेचने की योजना बनाई और चोगले दंपत्ति से बातचीत हुई।
तय सौदे पर चोगले दंपत्ति ने 5,000 रुपये अग्रिम दिए और जून 2024 में बाकी का पैसा देने का वादा किया। किन्तु बच्चे की तबियत खराब होने पर पूरा मामला सामने आया।
बच्चे की खरीद-फरोख्त से सम्बंधित मीटिंग में डिप्टी सरपंच व अन्य लोग शामिल थे, इसकी जानकारी मुंबई पुलिस ने दी।
पुलिस इस जघन्य बाल तस्करी मामले की तह तक जाने के लिए प्रयासरत है। सभी आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है।