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Navya Haridas: मैकेनिकल इंजीनियर से राजनेता तक; कैसे तय हुआ नव्या हरिदास का सफर और क्यों हैं वे खास?

Navya Haridas: मैकेनिकल इंजीनियर से राजनेता तक; कैसे तय हुआ नव्या हरिदास का सफर और क्यों हैं वे खास?
Navya Haridas’s political journey: केरल के वायनाड में होने वाले लोकसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने एक युवा और ऊर्जावान उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। नव्या हरिदास, जो पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं, इस चुनाव में कांग्रेस की दिग्गज नेता प्रियंका गांधी वाड्रा का मुकाबला करेंगी।

नव्या हरिदास: एक परिचय

वायनाड उपचुनाव (Wayanad by-election) में भाजपा की उम्मीदवार नव्या हरिदास एक बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं। वह न सिर्फ एक कुशल राजनेता हैं, बल्कि एक योग्य इंजीनियर भी हैं। नव्या ने 2007 में केएमसीटी इंजीनियरिंग कॉलेज, कालीकट विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री हासिल की है। उनकी शिक्षा और तकनीकी पृष्ठभूमि उन्हें एक अनूठा दृष्टिकोण प्रदान करती है, जो राजनीति में बेहद फायदेमंद हो सकती है।

वायनाड उपचुनाव (Wayanad by-election) में नव्या हरिदास की उम्मीदवारी कई मायनों में महत्वपूर्ण है। वह न केवल एक युवा नेता हैं, बल्कि महिला होने के नाते वह महिला सशक्तिकरण का भी प्रतीक हैं। उनका चुनाव लड़ना इस बात का संकेत है कि भाजपा युवाओं और महिलाओं को आगे बढ़ाने में विश्वास रखती है।

नव्या का राजनीतिक अनुभव

नव्या हरिदास का राजनीतिक सफर बेहद रोचक रहा है। वह भाजपा महिला मोर्चा की राज्य महासचिव के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं, जो उनके नेतृत्व कौशल और संगठनात्मक क्षमताओं को दर्शाता है। इसके अलावा, वह कोझिकोड नगर निगम में दो बार पार्षद रह चुकी हैं, जो उन्हें स्थानीय स्तर पर लोगों की समस्याओं और जरूरतों की गहरी समझ प्रदान करता है।

नव्या की राजनीतिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ 2021 का विधानसभा चुनाव था, जब उन्होंने कोडोकोड दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा। हालांकि वह चुनाव नहीं जीत पाईं, लेकिन इस अनुभव ने उन्हें चुनावी राजनीति की बारीकियों को समझने में मदद की। यह अनुभव निश्चित रूप से नव्या हरिदास का राजनीतिक सफर (Navya Haridas’s political journey) में एक महत्वपूर्ण कदम था।

वायनाड उपचुनाव की चुनौतियां

वायनाड लोकसभा सीट पर होने वाला यह उपचुनाव कई मायनों में दिलचस्प है। यह सीट पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पास थी, जिन्होंने इस साल के आम चुनाव में यहां से जीत हासिल की थी। लेकिन बाद में उन्होंने रायबरेली सीट को चुनने के बाद वायनाड से इस्तीफा दे दिया, जिसके कारण यह उपचुनाव हो रहा है।

इस चुनाव में नव्या हरिदास का मुकाबला कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा से होगा। प्रियंका, जो 1999 से सक्रिय राजनीति में हैं, पहली बार खुद चुनावी मैदान में उतर रही हैं। यह मुकाबला न केवल दो पार्टियों के बीच, बल्कि दो अलग-अलग पृष्ठभूमि और अनुभव वाली नेताओं के बीच भी होगा।

नव्या हरिदास की ताकत

नव्या हरिदास का राजनीतिक सफर (Navya Haridas’s political journey) उनकी कई खूबियों को उजागर करता है। उनकी तकनीकी शिक्षा उन्हें समस्याओं के समाधान में एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने में मदद करती है। स्थानीय स्तर पर उनका अनुभव उन्हें जमीनी मुद्दों की बेहतर समझ देता है। साथ ही, भाजपा महिला मोर्चा में उनकी भूमिका उन्हें महिला मुद्दों पर विशेष ध्यान देने में सक्षम बनाती है।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के अनुसार, नव्या पर कोई आपराधिक मामला नहीं है, जो उनकी छवि को साफ-सुथरा बनाता है। यह उनके पक्ष में एक बड़ा प्लस पॉइंट है, खासकर आज के समय में जब राजनीति में अपराधीकरण एक बड़ा मुद्दा है।

वायनाड उपचुनाव का महत्व

वायनाड उपचुनाव केवल एक सीट के लिए नहीं है, बल्कि यह कई तरह से महत्वपूर्ण है। यह चुनाव भाजपा के लिए केरल में अपनी पकड़ मजबूत करने का एक अवसर है, जहां पार्टी का प्रदर्शन अभी तक उतना अच्छा नहीं रहा है। वहीं कांग्रेस के लिए यह अपने गढ़ को बचाए रखने की चुनौती है।

नव्या हरिदास के लिए यह चुनाव उनके राजनीतिक करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ है। अगर वह जीतती हैं, तो यह न केवल उनके लिए, बल्कि केरल में भाजपा के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि होगी। चाहे जो भी परिणाम हो, यह चुनाव निश्चित रूप से केरल की राजनीति में एक नया अध्याय लिखेगा।

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