पुणे में एक जनसभा के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जातिवाद और भाई-भतीजावाद पर तीखा हमला बोला। उनकी इस टिप्पणी ने सभी का ध्यान खींचा और उन्होंने भारतीय राजनीति में जाति की राजनीति के चलन पर खुलकर बात की। उन्होंने जातिगत राजनीति पर अपनी स्पष्ट और सख्त राय देते हुए कहा, “जो करेगा जाति की बात, उसे मारूंगा कस के लात।” इस बयान ने सभा में मौजूद लोगों के बीच एक नई ऊर्जा पैदा कर दी।
जातिवाद पर गडकरी का स्पष्ट रुख
गडकरी ने राजनीति में जातिवाद की जड़ों पर सीधा हमला करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति हमेशा “वसुधैव कुटुंबकम” के सिद्धांत पर आधारित रही है, जिसका अर्थ है कि पूरा विश्व एक परिवार है। उन्होंने कहा, “हमारी संस्कृति में यह कभी नहीं कहा गया कि पहले मेरा कल्याण हो, मेरे बेटे या दोस्तों का कल्याण हो। लेकिन आज की राजनीति में कुछ लोग यही चाहते हैं कि पहले उनके बेटे, बेटी, पत्नी को टिकट मिले और उनका व्यक्तिगत फायदा हो।”
गडकरी का यह बयान इस बात को दर्शाता है कि वह जातिवाद (Casteism) के खिलाफ कितने गंभीर हैं और यह भी कि कैसे भारतीय राजनीति में इस तरह की मानसिकता को बदलने की जरूरत है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि लोग जिस दिन यह समझ जाएंगे कि यह सब गलत है, उस दिन यह राजनीतिक चलन खत्म हो जाएगा।
भाई-भतीजावाद पर कड़ा प्रहार
गडकरी ने अपने भाषण में केवल जातिवाद (Casteism) ही नहीं, बल्कि भाई-भतीजावाद (Nepotism) पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि किसी का बेटा-बेटी होना न पुण्य है, न पाप, लेकिन उन्हें अपनी काबिलियत सिद्ध करनी चाहिए। उनके अनुसार, राजनीति में कोई भी व्यक्ति केवल अपने रिश्तेदारों के दम पर सफल नहीं हो सकता; उसे अपनी योग्यता से लोगों का दिल जीतना होगा।
गडकरी का मानना है कि भारतीय राजनीति में इस तरह की सोच को बदलना बेहद जरूरी है ताकि देश में सही मायने में लोकतंत्र को मजबूती मिले। उनकी यह टिप्पणी सीधे तौर पर उन नेताओं पर थी, जो अपने परिवार के लोगों को राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए जाति और रिश्तेदारी का सहारा लेते हैं।
राजनीति में काबिलियत का महत्व
गडकरी ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राजनीति में आने वाले लोगों को अपनी योग्यता से अपनी जगह बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जाति या रिश्तेदारी के आधार पर किसी को पद या मौका मिलना गलत है। अगर कोई योग्य है तो वह अपने दम पर जनता का समर्थन पा सकता है, उसे जाति या किसी और चीज का सहारा नहीं लेना चाहिए।
गडकरी के अनुसार, भारतीय राजनीति को स्वस्थ और पारदर्शी बनाने के लिए काबिलियत को सबसे पहले महत्व दिया जाना चाहिए, न कि जातिगत समीकरणों को।
क्या है आगे की उम्मीद?
गडकरी के इस बयान ने एक बार फिर जातिवाद और भाई-भतीजावाद पर चर्चा को गर्म कर दिया है। भारतीय राजनीति में यह मुद्दा लंबे समय से मौजूद है, लेकिन गडकरी की इस टिप्पणी से उम्मीद की जा सकती है कि लोग अब इस पर और गंभीरता से विचार करेंगे। उनका कहना है कि जिस दिन जनता ने ठान लिया कि जाति और भाई-भतीजावाद सही नहीं है, उसी दिन यह समस्या खत्म हो जाएगी।
गडकरी ने अपने भाषण से यह साफ कर दिया कि वह जातिवाद के खिलाफ हैं और राजनीति में काबिलियत को सबसे ज्यादा महत्व देते हैं। उनकी यह सोच भारतीय राजनीति में एक नई दिशा देने की कोशिश है, जो राजनीति को सही मायने में लोकतांत्रिक और पारदर्शी बना सकती है।
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