देश-विदेश

ओम बिरला का गुस्सा: लोकसभा में मंत्री जी को जेब से हाथ निकालने का आदेश, सत्ता पक्ष को भी सुनाई खरी-खोटी

ओम बिरला

संसद का मौसम सत्र चल रहा था। लोकसभा में बजट 2024 पर बहस हो रही थी। अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसने सबका ध्यान खींच लिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बहुत गुस्से में दिखे। उनका गुस्सा सिर्फ विपक्ष पर नहीं, बल्कि सरकार के मंत्रियों पर भी था। उन्होंने एक मंत्री को जेब से हाथ निकालने के लिए कड़ी बात कही।

यह सब कैसे हुआ? दरअसल, सवाल-जवाब का समय चल रहा था। बीजेपी के बेंगलुरु के सांसद डॉ. सी एन मंजूनाथ कुछ पूछ रहे थे। तभी बिरला जी की नजर एक मंत्री पर पड़ी। वह मंत्री अपने हाथ जेब में डाले खड़े थे। बिरला जी ने तुरंत कहा, “मंत्री जी, जेब से हाथ बाहर निकालिए।” उन्होंने यह भी कहा कि सदन में ऐसा करना ठीक नहीं है। उन्होंने सभी सदस्यों से कहा कि वे हाथ जेब में डालकर न आएं।

लेकिन मामला यहीं नहीं रुका। जब बिरला जी बोल रहे थे, तभी वह मंत्री कुछ कहने लगे। इस पर बिरला जी और भड़क गए। उन्होंने तेज आवाज में कहा, “क्यों बीच में बोल रहे हो मंत्री जी? क्या पूछना है, बताओ। क्या तुम चाहते हो कि मैं जेब में हाथ डालने की इजाजत दूं?” इस बात से पूरे सदन में सन्नाटा छा गया। सभी सदस्य चुपचाप सुनने लगे।

बिरला जी ने सिर्फ मंत्री को ही नहीं, बल्कि सवाल पूछ रहे सांसद को भी सलाह दी। जब डॉ. मंजूनाथ का सवाल लंबा हो गया, तो बिरला जी ने कहा, “आप बड़े डॉक्टर हैं, नए सदस्य हैं और बहुत अनुभवी हैं। लेकिन सवाल-जवाब के समय में छोटे सवाल पूछे जाते हैं।” मंजूनाथ जी ने सिर हिलाकर हां कह दी और बिरला जी की बात मान ली।

इस घटना से यह साफ हो गया कि बिरला जी सदन में अनुशासन बनाए रखने के लिए किसी से भी सख्ती से पेश आ सकते हैं। चाहे वह सरकार का आदमी हो या विरोधी पक्ष का। उन्होंने कहा कि सदन के सभी सदस्यों को नियमों का पालन करना चाहिए और सदन की इज्जत बनाए रखनी चाहिए।

उस दिन सवाल-जवाब के समय में माहौल गरम था। सरकार और विरोधी पक्ष के सदस्य एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे थे। इससे सदन में शोर-शराबा हो रहा था। बिरला जी ने कई बार सदस्यों से शांत रहने को कहा। उन्होंने कहा कि सदन की गरिमा बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।

बिरला जी ने खास तौर पर इस बात पर जोर दिया कि सदन में हाथ जेब में डालकर आना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि सदन एक पवित्र जगह है। यहां हर सदस्य को मर्यादा में रहकर व्यवहार करना चाहिए। उनकी इस बात से यह साफ हो गया कि वे किसी भी तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करेंगे।

यह पता नहीं चल पाया कि बिरला जी किस मंत्री की ओर इशारा कर रहे थे। लेकिन उनकी इस बात ने सरकारी पक्ष के सदस्यों में हलचल मचा दी। सभी सदस्य अनुशासन में आकर बैठ गए और आगे की चर्चा शांति से सुनी।

बिरला जी ने अपने भाषण में कई बार सदस्यों को समझाया। उन्होंने कहा कि सदन की गरिमा को बनाए रखना हम सभी का फर्ज है। उन्होंने सभी सदस्यों से कहा कि वे अपने सवाल छोटे रखें। साथ ही यह भी कहा कि जब कोई सदस्य बोल रहा हो तो कोई दूसरा सदस्य उसके सामने न आए।

बिरला जी के इस सख्त रवैये से यह साफ हो गया कि वे सदन की गरिमा को बनाए रखने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सदन एक पवित्र स्थान है। यहां हर सदस्य को मर्यादा में रहकर व्यवहार करना चाहिए। उनकी इस बात से यह स्पष्ट हो गया कि वे किसी भी तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करेंगे।

You may also like