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हम्पी के विरुपाक्ष मंदिर का हिस्सा ढहा, क्या है इस प्राचीन मंदिर की कहानी?

विरुपाक्ष मंदिर
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कर्नाटक के हम्पी में स्थित विरुपाक्ष मंदिर का एक हिस्सा हाल ही में भारी बारिश के बाद ढह गया। इस मंदिर का इतिहास 7वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। हालांकि इस मंदिर से जुड़ी कई कहानियां और भी पुरानी हैं, लेकिन विरुपाक्ष मंदिर को 14वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के दौरान खास पहचान मिली। विजयनगर के राजाओं ने इस मंदिर को खूब सजाया-संवारा और ये अपने समय के धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया।

ये द्रविड़ शैली में बना हुआ एक भव्य मंदिर है, जिसके विशाल गोपुरम (प्रवेश द्वार), शिखर, नक्काशी और स्तंभों वाले हॉल इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।

क्यों ढहा मंडप?
ASI के अधिकारियों के मुताबिक, मंदिर का जो हिस्सा ढहा है, वो पत्थर के खंभों पर बना एक मंडप था। ये खंभे बारिश की वजह से कमजोर हो गए थे।

हम्पी सर्कल के ASI के अधीक्षक पुरातत्वविद् निहिल दास ने बताया, “19 मीटर लंबे मंडप का सिर्फ 3 मीटर हिस्सा, जिसमें चार खंभे हैं, भारी बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हुआ है। पूरे मंडप का जीर्णोद्धार होना था और हमें पता था कि इन खंभों की नींव मजबूत नहीं है।”

मंदिर का कैसे हो रहा है जीर्णोद्धार?
ASI हम्पी में राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित 95 स्मारकों में से 57 की देखभाल करता है। 2019 में मंदिर के जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ था। अब ढह चुके मंडप को भी बाद में रिस्टोर किया जाना था।

घटना के बाद, ASI ने एक कमेटी बनाई है, जो स्मारकों की समीक्षा और दस्तावेजीकरण करेगी ताकि नुकसान और बहाली की जरूरतों की जांच की जा सके।

जीर्णोद्धार में क्या-क्या चुनौतियां हैं?
ASI के अधिकारियों का कहना है कि फंडिंग, लॉजिस्टिक्स और मानव संसाधन से जुड़े मुद्दे जीर्णोद्धार के काम में सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। पत्थर के खंभों की मरम्मत के लिए उसी तरह के पत्थर की जरूरत होती है, जो पहले इस्तेमाल किया गया था, और ये एक पारंपरिक तरीके से किया जाता है, जिसमें समय लगता है।

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