Chairman and Kharge Debate: संसद का शीतकालीन सत्र हमेशा से विवादों और चर्चाओं का गढ़ रहा है। लेकिन सोमवार को राज्यसभा का माहौल कुछ ज्यादा ही गरम हो गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोकझोंक इतनी बढ़ गई कि सभापति जगदीप धनखड़ और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे आमने-सामने आ गए। खरगे ने यहां तक कह दिया कि “आप लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं” (You are killing democracy)। इस पूरे मामले में ऐसा क्या हुआ, आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
क्या है राज्यसभा के हंगामे की वजह?
राज्यसभा में सोमवार का सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। विपक्ष ने नियम 267 (Rule 267) के तहत 11 नोटिस दिए थे। इन नोटिस में मणिपुर और संभल में हिंसा, किसानों की स्थिति, और अडानी समूह से जुड़े मामलों पर चर्चा की मांग की गई थी। वहीं, सत्ता पक्ष ने विदेशी संगठनों और नेताओं के कथित संबंधों पर चर्चा की मांग उठाई।
सभापति जगदीप धनखड़ ने सभी नोटिस खारिज कर दिए। इसके बाद विपक्ष के सदस्य आक्रामक हो गए। उन्होंने सभापति पर पक्षपात का आरोप लगाया और सरकार पर संसद को न चलने देने की जिम्मेदारी डाली। इस मुद्दे पर पूरे सदन में जोरदार राज्यसभा हंगामा (Rajya Sabha Uproar) शुरू हो गया।
सभापति और खरगे के बीच टकराव
सभा की कार्यवाही जब शुरू हुई, तो मल्लिकार्जुन खरगे अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए। सभापति ने उन्हें बार-बार मुद्दे पर बात करने के लिए कहा। खरगे ने आरोप लगाया कि विपक्ष के लोगों को सदन में बोलने ही नहीं दिया जा रहा है।
इसके जवाब में सभापति ने कहा, “खरगे जी, मुद्दों पर बात कीजिए, बाकी की बातें बाद में हो सकती हैं।” लेकिन खरगे ने यह कहकर माहौल और गरमा दिया कि, “आप सरकार की तरफ से सदन को नहीं चलने दे रहे। आप तो लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं (Killing Democracy)।”
खरगे का 54 साल का राजनीतिक अनुभव
इस बीच, खरगे और सभापति के बीच तीखी बहस हुई। खरगे ने कहा कि उन्हें सिखाने की जरूरत नहीं है क्योंकि उनका 54 साल का राजनीतिक अनुभव है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि विपक्ष को अपनी बात रखने का अधिकार है और इसे दबाया नहीं जा सकता।
सभापति ने खरगे की बात को काटते हुए कहा कि एक वरिष्ठ सांसद होने के नाते उन्हें नियमों का पालन करना चाहिए। इस पर खरगे ने दो टूक कहा कि “मुझे मेरे अनुभव के बारे में कोई सिखाए, यह मुझे मंजूर नहीं।”
सभापति का पक्ष और संसद का रुख
सभापति जगदीप धनखड़ ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सदन के नियमों का पालन करना जरूरी है। उन्होंने विपक्ष को भी शांत रहने की सलाह दी। लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच बढ़ते शोर-शराबे के कारण सदन की कार्यवाही पहले 12 बजे और फिर दोपहर 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
अडानी घोटाले पर चर्चा को लेकर विवाद
इस पूरे हंगामे के केंद्र में अडानी समूह से जुड़े मामले की चर्चा थी। विपक्ष ने इस मुद्दे पर बहस की मांग की, लेकिन सभापति ने इसे खारिज कर दिया। खरगे ने इसे लोकतंत्र विरोधी करार दिया और इसे विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश बताया।
इस गरमागरम बहस ने संसद के शीतकालीन सत्र में सभापति और खरगे की बहस (Chairman and Kharge Debate) को एक अहम मुद्दा बना दिया।