सुल्तानपुर एनकाउंटर: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हाल ही में हुए एक एनकाउंटर ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। 5 सितंबर को हुई इस घटना में एक कथित अपराधी मंगेश यादव की मौत हो गई। इस घटना के बाद से, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के बीच तीखी बहस छिड़ गई है।
क्या हुआ था सुल्तानपुर में?
सुल्तानपुर के कोतवाली देहात इलाके में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और कथित अपराधियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस दौरान मंगेश यादव नाम के एक व्यक्ति की मौत हो गई। पुलिस का कहना है कि मंगेश एक खतरनाक अपराधी था और उसके खिलाफ कई मामले दर्ज थे। लेकिन इस एनकाउंटर पर कई सवाल उठ रहे हैं।
अखिलेश यादव का आरोप
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताया है। उन्होंने कहा, “लगता है सुल्तानपुर की डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा संपर्क था। इसीलिए तो नकली एनकाउंटर से पहले ‘मुख्य आरोपी’ से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य सपक्षीय लोगों के पैरों पर सिर्फ दिखावटी गोली मारी गई और ‘जात’ देखकर जान ली गई।”
अखिलेश ने यह भी कहा कि भाजपा राज में अपराधियों का “अमृतकाल” चल रहा है। उनका मानना है कि जब तक जनता का दबाव चरम सीमा पर नहीं पहुंचता, तब तक लूट में हिस्सेदारी का काम चलता रहता है।
योगी आदित्यनाथ का जवाब
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “समाजवादी पार्टी की जब सरकार थी, तब गुंडों को खास स्थान दिया जाता था। तब ऐसा था कि जितना बड़ा गुंडा, उतना बड़ा ओहदा मिलता था। लेकिन अब आपसी मुठभेड़ में कोई डकैत मारा जाता है, तो समाजवादी पार्टी को बुरा लग रहा है।”
योगी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है, चाहे वो किसी भी जाति या धर्म का हो।
जांच के आदेश
इस विवाद के बीच, सुल्तानपुर जिला प्रशासन ने एनकाउंटर की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। सुल्तानपुर के अपर जिला मजिस्ट्रेट (प्रशासन) गौरव शुक्ला ने बताया कि उपजिलाधिकारी लंभुआ को यह जांच सौंपी गई है। उन्हें 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी होगी।
क्या है इस विवाद का असर?
यह घटना उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था के मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ले आई है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार अपने राजनीतिक लाभ के लिए पुलिस का इस्तेमाल कर रही है। वहीं सरकार का कहना है कि वो सिर्फ अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है।
इस घटना ने यह सवाल भी खड़ा किया है कि क्या पुलिस एनकाउंटर ही अपराध रोकने का सही तरीका है? कई लोगों का मानना है कि कानूनी प्रक्रिया का पालन करना ज्यादा जरूरी है।
आगे क्या?
अब सबकी नजरें मजिस्ट्रियल जांच की रिपोर्ट पर टिकी हैं। यह रिपोर्ट तय करेगी कि एनकाउंटर सही था या नहीं। लेकिन इस बीच, यह मुद्दा उत्तर प्रदेश की राजनीति में गरमा गया है। आने वाले दिनों में इस पर और बहस होने की संभावना है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कानून व्यवस्था एक गंभीर मुद्दा है। इसे राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने के बजाय, सभी पक्षों को मिलकर एक ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जो सभी नागरिकों के लिए सुरक्षित और न्यायसंगत हो।
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