स्विस बिल विवाद (Swiss Bill Dispute) और महाराष्ट्र सरकार का भुगतान विवाद (Maharashtra Government Payment Dispute) को समझने के लिए आगे पढ़ें।
महाराष्ट्र सरकार का भुगतान विवाद
स्विट्जरलैंड स्थित कंपनी SKAAH GmbH ने 28 अगस्त को महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC), मुख्यमंत्री कार्यालय और अन्य को नोटिस भेजा। इस नोटिस में आरोप लगाया गया है कि दावोस यात्रा के दौरान 1.58 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान नहीं किया गया। स्विस बिल विवाद के कारण, कंपनी ने कानूनी नोटिस भेजकर भुगतान की मांग की है। MIDC के CEO पी वेलरासु ने इस तरह का कोई नोटिस मिलने से इनकार किया, लेकिन मामले की जांच का आश्वासन दिया।
दावोस यात्रा का विवाद
जनवरी 2024 में, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके कुछ मंत्रियों ने विश्व आर्थिक मंच में भाग लेने के लिए दावोस की यात्रा की थी। इस यात्रा का उद्देश्य महाराष्ट्र में निवेश को आकर्षित करना था। इस दौरान, शिष्टमंडल ने स्विस कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई गई सेवाओं का लाभ उठाया। हालांकि, बिल का पूरा भुगतान नहीं होने के कारण यह स्विस बिल विवाद सामने आया।
इस मामले ने राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू कर दिया है। विपक्षी दलों ने सरकार पर आवश्यकता से अधिक खर्च करने का आरोप लगाया है। शिवसेना यूबीटी के आदित्य ठाकरे और एनसीपी (एसपी) के विधायक रोहित पवार ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस घटना ने विश्व आर्थिक मंच पर राज्य की छवि खराब की है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस महाराष्ट्र सरकार का भुगतान विवाद ने राज्य की राजनीति में खलबली मचा दी है। विपक्षी महा विकास अघाड़ी विधायकों ने सरकार पर दावोस यात्रा पर जरूरत से ज्यादा खर्च करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस घटना ने निवेशकों को एक बुरा संदेश दिया है। सोशल मीडिया पर पवार ने दावा किया कि यह विवाद राज्य की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रहा है।
यह स्विस बिल विवाद और महाराष्ट्र सरकार का भुगतान विवाद ने राज्य की राजनीति में नई चर्चा का मुद्दा बना दिया है। आगे क्या होगा, यह देखना बाकी है, लेकिन यह मामला राज्य की छवि और निवेश पर असर डाल सकता है।
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