पुरुषों का हक मत मारो: हाल ही में राजस्थान सरकार के एक फैसले के बाद सोशल मीडिया पर ‘पुरुषों का हक मत मारो’ ट्रेंड कर रहा है। इस फैसले को लेकर महिला-पुरुष बराबरी पर चर्चा हो रही है और कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं।
क्या है राजस्थान सरकार का फैसला?
14 जून को राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया। पहले महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण मिलता था, जिसे अब बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। इस फैसले को लागू करने के लिए राज्य सरकार को राजस्थान पंचायती राज अधिनियम में संशोधन करना होगा।
कितने पद खाली हैं?
राजस्थान के शिक्षा विभाग में तृतीय श्रेणी शिक्षक के 29,272 पद खाली हैं। इन पदों को भरने के लिए जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी।
सोशल मीडिया पर यूजर्स क्या कह रहे हैं?
- हनु भांवरिया नाम की एक यूजर ने लिखा, “सरकार से हाथ जोड़कर निवेदन है कि हम लड़कियों को किसी दूसरे भाई के हक की जॉब नहीं चाहिए। लड़का-लड़की में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। लड़का-लड़की दोनों को बराबर मौका दो। #पुरुषों_का_हक_मत_मारो”
- वंदना मीणा ने लिखा, “महिला आरक्षण-50%, भूतपूर्व सैनिक आरक्षण-12.5%, विकलांग आरक्षण-4%, अनारक्षित-33.5% में लड़कों को क्या मिलेगा? #पुरुषों_का_हक_मत_मारो”
- Ask नाम के एक यूजर ने लिखा, “महिला को 50% आरक्षण का काला कानून वापस लेना पड़ेगा। आन्दोलन ही रास्ता है।”
- गणेश भामू ने लिखा, “अभी वक्त है एक होकर आवाज उठाने का। #पुरुषों_का_हक_मत_मारो”
- तेजा जाट ने लिखा, “राजस्थान में 50% महिला आरक्षण पुरुष वर्ग से अधिक एससी, एसटी, ओबीसी महिलाओं की हकमारी का फरमान है। प्रदेश के युवाओं और वंचित तबकों की महिलाओं के हक, अधिकार के साथ खिलवाड़ करना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। #पुरुषों_का_हक_मत_मारो”
राजस्थान सरकार के इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर लोग अलग-अलग तरीके से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। सभी की यही मांग है कि महिला-पुरुष दोनों को समान अवसर मिलना चाहिए और किसी के हक को नहीं मारा जाना चाहिए।
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