Fadnavis’s Conspiracy: महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐसा भूचाल आया है जिसने सभी राजनीतिक समीकरणों को हिला कर रख दिया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
ब्लैकमेल का खुलासा करते हुए जयंत पाटिल ने बताया कि कैसे देवेंद्र फडणवीस ने दस साल तक अजित पवार को दबाव में रखा। ब्लैकमेल का खुलासा (Blackmail Revelation) यह भी करता है कि कैसे एक राजनीतिक दल को तोड़ने की साजिश रची गई।
सिंचाई घोटाले की फाइलें और राजनीतिक दबाव
70,000 करोड़ रुपये के कथित सिंचाई घोटाले से जुड़ी फाइलों का इस्तेमाल एक राजनीतिक हथियार के रूप में किया गया। जयंत पाटिल ने बताया कि 2014 में जब भाजपा सत्ता में आई, तब मुख्यमंत्री बनने के बाद फडणवीस ने अजित पवार को दिवंगत गृह मंत्री आर आर पाटिल द्वारा हस्ताक्षरित फाइलें दिखाईं। ये फाइलें एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) द्वारा खुली जांच की सिफारिश करती थीं।
Fadnavis’s Conspiracy: राजनीतिक षड्यंत्र का जाल
महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल (Political Earthquake in Maharashtra) लाने वाले इस खुलासे में जयंत पाटिल ने बताया कि यह कोई सामान्य राजनीतिक घटना नहीं थी। उन्होंने कहा कि फडणवीस ने पहले विपक्ष में रहते हुए अजित पवार पर आरोप लगाए, फिर सत्ता में आने के बाद उनकी जांच की, और अंत में उन्हें आर आर पाटिल की फाइल दिखाकर दबाव बनाया। यह सब एनसीपी में आंतरिक कलह पैदा करने की एक सोची-समझी रणनीति थी।
दिवंगत नेता का नाम खींचने पर विवाद
पाटिल ने इस बात पर गहरी नाराजगी जताई कि एक ऐसे नेता का नाम विवाद में खींचा गया जो अब अपना पक्ष रखने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आर आर पाटिल के नाम का इस्तेमाल करना न केवल अनैतिक है बल्कि यह दर्शाता है कि अजित पवार किसी भी व्यक्ति के बारे में कुछ भी बोल सकते हैं, चाहे वह व्यक्ति कितने ही वर्षों तक उनके साथ काम कर चुका हो।
राजनीतिक रिश्तों का असली चेहरा
जयंत पाटिल ने स्पष्ट किया कि अजित पवार का यह बयान उन्हें तो नुकसान पहुंचाएगा ही, लेकिन इसने फडणवीस को और भी बड़ी मुसीबत में डाल दिया है। यह खुलासा पिछले दस वर्षों में फडणवीस के काम करने के तरीके और उनके अजित पवार के साथ रिश्तों की असली तस्वीर सामने लाता है। पाटिल ने कहा कि अगर फाइल विपक्ष के नेता को दिखाई गई होती तो समझ में आता, लेकिन अजित पवार उस समय महज एक विपक्षी विधायक थे।
विश्वसनीयता का संकट
इस पूरे प्रकरण ने महाराष्ट्र की राजनीति में विश्वसनीयता का एक गंभीर संकट पैदा कर दिया है। जयंत पाटिल के अनुसार, यह मामला बताता है कि क्यों अजित पवार बार-बार भाजपा की ओर जाना चाहते थे। उन्होंने कहा कि दस साल तक चले इस ब्लैकमेल ने न केवल एक व्यक्ति को प्रभावित किया, बल्कि पूरी राजनीतिक व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।