मुंबई

मुंबई के मीठी नदी सफाई घोटाले में बड़ा खुलासा: मुख्य आरोपियों की जमानत खारिज

मीठी नदी
Image Source - Web

मुंबई की मीठी नदी सफाई परियोजना में हुए 65 करोड़ रुपये के घोटाले ने एक बार फिर शहर की सुर्खियों में जगह बनाई है। इस मामले में मुख्य आरोपियों केतन कदम और जय जोशी की जमानत अर्जी को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। दोनों को अब न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की विशेष जांच टीम (SIT) इस घोटाले की गहन जांच में जुटी है। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।

मीठी नदी, जो मुंबई की एक महत्वपूर्ण नदी है, उसकी सफाई के लिए शुरू की गई परियोजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। इस घोटाले में बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगरपालिका) के अधिकारियों, ठेकेदारों और बिचौलियों की मिलीभगत से निगम को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। जांच में पता चला कि सफाई के लिए जरूरी मशीनरी को खरीदने के बजाय, ठेकेदारों से किराए पर लेने का फैसला किया गया, जिससे निजी कंपनियों को भारी मुनाफा पहुंचाया गया।

मशीनरी किराए के नाम पर कमीशन का खेल
ईओडब्ल्यू की जांच में ये सामने आया कि आरोपियों ने मशीनरी किराए पर लेने के नाम पर करोड़ों रुपये का कमीशन हड़पा। खास तौर पर, केतन कदम और जय जोशी ने मशीनों को दो साल के लिए 8 करोड़ रुपये में किराए पर देने की पेशकश की थी, लेकिन बाद में इसे 4 करोड़ रुपये में सेटल कर लिया गया। इस सौदे के पीछे की मंशा स्पष्ट थी—निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाना और बीएमसी को नुकसान उठाना।

इसके अलावा, मैटप्रॉप कंपनी के दीपक मोहन से भी ईओडब्ल्यू ने लंबी पूछताछ की। उनसे ये सवाल किया गया कि जब मशीनरी खरीदने का कोटेशन मौजूद था, तो उसे किराए पर लेने की सलाह क्यों दी गई। इस पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे होने की संभावना है।

जांच में सामने आए अहम सबूत
ईओडब्ल्यू के सूत्रों के अनुसार, जांच में अब तक कई महत्वपूर्ण दस्तावेजी सबूत और सुराग मिले हैं, जो आरोपियों के खिलाफ मजबूत केस बनाते हैं। जांच अधिकारी संतोष तोरे ने कोर्ट में जमानत का विरोध करते हुए कहा कि केतन कदम और जय जोशी इस घोटाले में पूरी तरह से शामिल थे। जांच अभी भी जारी है, और अन्य अधिकारियों व निजी कंपनियों की भूमिका भी खंगाली जा रही है।

बीएमसी और जनता के साथ धोखा
ये घोटाला न केवल बीएमसी के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि मुंबई की जनता के लिए भी निराशाजनक है। मीठी नदी की सफाई शहर के पर्यावरण और स्वच्छता के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन इस परियोजना को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया। जनता का पैसा, जो स्वच्छता और विकास के लिए था, उसे निजी हितों के लिए दुरुपयोग किया गया।

खैर अब ईओडब्ल्यू की जांच से उम्मीद है कि इस घोटाले के सभी दोषियों को सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसी अनियमितताओं पर रोक लगेगी। ये मामला मुंबई की प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत को भी उजागर करता है।

ये भी पढ़ें: OMG: तो इस ग्रह पर रहते हैं एलियन! वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला सबूत

You may also like