मुंबई

KEM Hospital Denies Water-Logging: KEM अस्पताल ने खारिज किया जलभराव का दावा, बॉम्बे HC ने मांगी मानसून तैयारियों की समय-सीमा

KEM Hospital Denies Water-Logging: KEM अस्पताल ने खारिज किया जलभराव का दावा, बॉम्बे HC ने मांगी मानसून तैयारियों की समय-सीमा

KEM Hospital Denies Water-Logging: मुंबई का मानसून हर साल अपने साथ बारिश की बौछारें और चुनौतियां लेकर आता है। इस बार भी भारी बारिश ने शहर को तरबतर कर दिया, लेकिन एक खबर ने सबका ध्यान खींचा। परेल के मशहूर KEM अस्पताल में पानी भरने (KEM Hospital Water-Logging, KEM अस्पताल जलभराव) की खबरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। वीडियो में गलियारों में पानी भरा दिख रहा था, जिसके बाद लोग सवाल उठाने लगे। लेकिन 16 जून 2025 को KEM अस्पताल ने बॉम्बे हाई कोर्ट में सफाई दी कि ये खबरें भ्रामक हैं। अस्पताल ने कहा कि मरीजों के इलाज वाले क्षेत्रों में पानी नहीं भरा था, और यह सिर्फ एक अस्थायी जलजमाव था, जो जल्दी ही ठीक हो गया। यह खबर मुंबईवासियों के लिए राहत की बात है, क्योंकि KEM जैसे अस्पताल पर लाखों लोग भरोसा करते हैं।

मामला तब गर्माया जब मई 2023 में भारी बारिश के बाद सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आए, जिनमें KEM के गलियारों में पानी भरा दिख रहा था। कुछ खबरों में तो यह भी कहा गया कि मरीज टखनों तक पानी में बैठे थे। इन खबरों से परेशान होकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) को अस्पताल का निरीक्षण करने और समाधान सुझाने का निर्देश दिया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश अलोक अराढ़े और जस्टिस संदीप मार्ने की बेंच के सामने KEM की डीन डॉ. संगीता रावत ने एक हलफनामा पेश किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि मरीजों की देखभाल वाले क्षेत्र, जैसे वार्ड, रेडियोलॉजी विभाग, MRI और X-रे रूम, पूरी तरह सुरक्षित थे। उस दिन 19 MRI, 120 CT स्कैन और 270 X-रे हुए, जो दिखाता है कि अस्पताल का कामकाज बिना रुकावट चला।

अस्पताल ने बताया कि पानी सिर्फ ग्राउंड फ्लोर के खुले गलियारे में जमा हुआ था। इसका कारण अस्पताल का पूर्व से पश्चिम की ओर ढलान वाला भू-भाग और आसपास का जलग्रहण क्षेत्र है। यह गलियारा न तो मरीजों का वेटिंग एरिया है और न ही वहां कोई इलाज होता है। फिर भी, इस समस्या से निपटने के लिए अस्पताल ने तुरंत कदम उठाए। खुले गलियारे पर अस्थायी शेड लगाया गया, ताकि बारिश का पानी अंदर न आए। साथ ही, जल निकासी के लिए सक्शन पंप की क्षमता बढ़ाई गई। BMC के ठोस कचरा विभाग (SWD) और अस्पताल कर्मचारी अब मानसून के दौरान आंतरिक और बाहरी नालियों की नियमित सफाई कर रहे हैं। इन उपायों से भविष्य में ऐसी घटनाएं कम होने की उम्मीद है।

कोर्ट ने BMC और अस्पताल प्रशासन से एक हफ्ते में अल्पकालिक समाधानों का समय-सीमा के साथ जवाब मांगा है। यह निर्देश सुनिश्चित करता है कि मानसून की तैयारियों में कोई ढिलाई न बरती जाए। KEM अस्पताल मुंबई का एक प्रमुख सरकारी अस्पताल है, जहां हर दिन हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं। ऐसे में, इस तरह की खबरें लोगों में डर पैदा कर सकती हैं। लेकिन अस्पताल का दावा है कि मरीजों की सुरक्षा और सुविधा में कोई कमी नहीं आई। यह सुनकर उन परिवारों को राहत मिलेगी, जो KEM पर निर्भर हैं।

इसके साथ ही, बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक और अहम मुद्दे पर ध्यान दिया। महाराष्ट्र के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों की स्थिति जांचने के लिए बनी पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर चर्चा हुई। यह समिति नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर के अस्पतालों में अक्टूबर 2023 में नवजात शिशुओं की मौत के बाद गठित की गई थी। समिति ने दोनों अस्पतालों का दौरा किया और अल्पकालिक व दीर्घकालिक सुझाव दिए। सरकार के वकील पी.पी. काकड़े ने कोर्ट को बताया कि समिति ने दवाओं की उपलब्धता, कर्मचारियों की भर्ती, और विशेष सेवाओं को बेहतर करने जैसे कई सुझाव दिए हैं।

समिति ने कुछ तुरंत लागू होने वाले उपाय सुझाए। जैसे, अतिरिक्त बेड को मान्यता देना, दवाओं के लिए पूरे बजट को एकसाथ जारी करना, और आपातकालीन दवाओं के लिए रेट कॉन्ट्रैक्ट करना। इसके अलावा, उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में प्रशिक्षित कर्मचारियों की उपलब्धता और तेज भर्ती प्रक्रिया पर जोर दिया गया। दीर्घकालिक उपायों में 24×7 रेडियोलॉजी और लैब सेवाएं, प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना, और प्रत्येक जिले में मातृ-शिशु स्वास्थ्य विंग बनाने जैसे सुझाव शामिल हैं। कोर्ट ने सरकार से अगले हफ्ते तक अल्पकालिक उपायों के लागू होने की समय-सीमा बताने को कहा।

यह मामला सिर्फ KEM अस्पताल तक सीमित नहीं है। यह मुंबई और पूरे महाराष्ट्र के सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को दर्शाता है। मानसून में जलभराव (Monsoon Water-Logging, मानसून जलभराव) की समस्या हर साल सामने आती है। BMC हर साल नालियों की सफाई और पंप लगाने का दावा करती है, लेकिन भारी बारिश में कई इलाके और संस्थान प्रभावित हो जाते हैं। KEM जैसे अस्पताल, जो गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की उम्मीद हैं, को ऐसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। लेकिन अस्पताल के त्वरित कदम और कोर्ट की सख्ती से उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं कम होंगी।

KEM अस्पताल की कहानी मुंबई की जिंदगी की तरह ही है। बारिश की मार, चुनौतियां, और फिर भी आगे बढ़ने की जिद। यह अस्पताल न केवल मरीजों का इलाज करता है, बल्कि शहर की उम्मीदों को भी जिंदा रखता है। कोर्ट का यह कदम सुनिश्चित करता है कि मानसून की तैयारियां और स्वास्थ्य सेवाएं दोनों ही बेहतर हों। मुंबईवासियों के लिए यह खबर एक भरोसा है कि उनकी सेहत और सुविधा के लिए हर संभव कोशिश हो रही है।

#KEMHospital, #MumbaiMonsoon, #BombayHighCourt, #WaterLogging, #HealthcareMaharashtra

ये भी पढ़ें: Mumbai Teachers on BLO Duty Amid School Reopening: मुंबई में 1000 शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी, स्कूल प्रभावित

You may also like