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Road Concretisation: मुंबई में सड़क कंक्रीटीकरण पहले चरण में 63% काम पूरा, मानसून बना चुनौती

Road Concretisation: मुंबई में सड़क कंक्रीटीकरण पहले चरण में 63% काम पूरा, मानसून बना चुनौती

मुंबई, जो अपनी व्यस्त सड़कों और आधुनिक बुनियादी ढांचे के लिए जानी जाती है, एक बार फिर अपने सड़क सुधार कार्यों के कारण चर्चा में है। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने जनवरी 2023 में शुरू हुए सड़क कंक्रीटीकरण (Road Concretisation, सड़क कंक्रीटीकरण) के पहले चरण में 320 किलोमीटर सड़कों में से 203.36 किलोमीटर, यानी 63 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है। यह प्रगति दो साल की मेहनत का नतीजा है, लेकिन इसमें अभी भी कई चुनौतियां बाकी हैं। बीएमसी का यह प्रयास मुंबई की सड़कों को टिकाऊ और सुगम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन मानसून और अन्य तकनीकी बाधाओं ने इसकी गति को प्रभावित किया है। यह कहानी न केवल सड़कों की मरम्मत की है, बल्कि यह भी बताती है कि मुंबई जैसे शहर में बड़े पैमाने पर परियोजनाओं को पूरा करना कितना जटिल है।

बीएमसी ने इस परियोजना को दो चरणों में शुरू किया, जिसकी कुल लागत 17,700 करोड़ रुपये है। पहले चरण में 700 सड़कों को चुना गया, जिनकी कुल लंबाई 320 किलोमीटर थी। इनमें से 343 सड़कें, जो 101.67 किलोमीटर की हैं, पूरी तरह से तैयार हो चुकी हैं, जबकि 239 सड़कें, जो 101.68 किलोमीटर की हैं, आंशिक रूप से पूरी हुई हैं। बीएमसी के आंकड़ों के अनुसार, जून 2024 तक केवल 9 प्रतिशत काम पूरा हुआ था, लेकिन पिछले एक साल में 54 प्रतिशत की प्रगति दर्ज की गई। यह तेजी दर्शाती है कि बीएमसी ने अपनी रणनीति में सुधार किया, लेकिन मानसून के मौसम ने इस काम को और चुनौतीपूर्ण बना दिया। मानसून के दौरान सड़क कंक्रीटीकरण (Monsoon Challenges, मानसून चुनौतियां) जैसे काम नहीं किए जा सकते, क्योंकि बारिश में मिट्टी ढीली हो जाती है और निर्माण कार्य जोखिम भरा हो जाता है।

दूसरे चरण में बीएमसी ने 1,421 सड़कों को चुना, जिनकी कुल लंबाई 378.36 किलोमीटर है। इस चरण में अब तक 139.38 किलोमीटर, यानी 36.83 प्रतिशत काम पूरा हुआ है। इनमें से 428 सड़कें, जो 84.33 किलोमीटर की हैं, पूरी तरह से तैयार हैं, जबकि 375 सड़कें, जो 55.06 किलोमीटर की हैं, आंशिक रूप से पूरी हुई हैं। बीएमसी के आयुक्त भूषण गग्रानी ने अपने बजट भाषण में कहा था कि मार्च 2026 तक पहले चरण का 75 प्रतिशत और दूसरे चरण का 50 प्रतिशत काम पूरा करने का लक्ष्य है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीएमसी ने अपनी योजना को और मजबूत किया है, लेकिन मौसम और तकनीकी बाधाएं इसकी राह में रोड़ा बनी हुई हैं।

बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि इस साल मानसून की शुरुआत जल्दी हो गई थी, जिसके कारण सड़क कंक्रीटीकरण का काम 20 मई तक पूरा करने का फैसला लिया गया। आमतौर पर यह काम जून के पहले सप्ताह तक चलता है, लेकिन इस बार बीएमसी ने मानसून के दौरान सड़कों को वाहनों के लिए उपयुक्त रखने के लिए पहले ही काम बंद कर दिया। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि जिन सड़कों पर काम चल रहा है, वे बारिश में भी उपयोगी रहें। लेकिन मानसून ने इस परियोजना की गति को धीमा कर दिया। अधिकारी ने बताया कि बारिश के दौरान सड़कों की खुदाई करना खतरनाक है, क्योंकि सड़कों के नीचे बिजली के केबल, टेलीफोन लाइनें, और फाइबर केबल बिछे होते हैं। बारिश में पानी इन केबलों तक पहुंच सकता है, जिससे गंभीर हादसे हो सकते हैं। इस कारण मानसून के बाद, यानी अक्टूबर के पहले सप्ताह से ही काम फिर से शुरू हो पाता है।

मुंबई की सड़कें शहर की जीवनरेखा हैं। हर दिन लाखों लोग इन सड़कों पर यात्रा करते हैं, और गड्ढों या खराब सड़कों के कारण होने वाली परेशानी किसी से छिपी नहीं है। कंक्रीटीकरण का उद्देश्य सड़कों को अधिक टिकाऊ बनाना है, ताकि बारिश में भी वे खराब न हों। पहले चरण में जिन सड़कों का काम पूरा हुआ, उनमें कई प्रमुख मार्ग शामिल हैं, जैसे कि सांताक्रूज-चेंबूर लिंक रोड और गोरेगांव-मलाड क्षेत्र की सड़कें। इन सड़कों पर अब यात्रा करना पहले से ज्यादा सुगम हो गया है। लेकिन अभी भी कई सड़कें ऐसी हैं, जहां काम अधूरा है, और स्थानीय लोग इनके जल्द पूरा होने की उम्मीद कर रहे हैं।

मानसून की चुनौतियों के अलावा, बीएमसी को अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। सड़क कंक्रीटीकरण एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें न केवल सड़क की सतह को तैयार करना होता है, बल्कि ड्रेनेज सिस्टम, फुटपाथ, और अन्य बुनियादी ढांचे को भी ठीक करना पड़ता है। इसके लिए कई विभागों, जैसे कि जल आपूर्ति, बिजली, और पुलिस, के साथ समन्वय जरूरी है। बीएमसी ने इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए कई ठेकेदारों को नियुक्त किया है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में काम की गति धीमी रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि कुछ सड़कों पर काम शुरू होने के बाद भी महीनों तक प्रगति नहीं दिखती, जिससे यातायात और रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होती है।

बीएमसी का यह प्रोजेक्ट मुंबई के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। कंक्रीट की सड़कें न केवल टिकाऊ होती हैं, बल्कि उनकी रखरखाव लागत भी कम होती है। यह परियोजना शहर के यातायात को सुगम बनाने और दुर्घटनाओं को कम करने में भी मदद करेगी। पहले चरण की 63 प्रतिशत प्रगति एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन अभी भी 37 प्रतिशत काम बाकी है। दूसरे चरण में भी केवल 36.83 प्रतिशत काम पूरा हुआ है, जिसका मतलब है कि बीएमसी को अपनी गति और तेज करनी होगी। निवासियों की उम्मीद है कि बीएमसी अपने वादे के अनुसार मार्च 2026 तक इस परियोजना के बड़े हिस्से को पूरा कर लेगी।

मुंबई की सड़कें केवल कंक्रीट और गिट्टी की नहीं हैं; ये शहर की कहानियों, सपनों, और संघर्षों का हिस्सा हैं। हर सड़क पर चलने वाला व्यक्ति चाहता है कि उसकी यात्रा सुरक्षित और सुगम हो। बीएमसी का यह प्रयास उसी दिशा में एक कदम है, लेकिन मानसून, तकनीकी चुनौतियां, और समन्वय की कमी इसे जटिल बना रहे हैं। फिर भी, बीएमसी की मेहनत और प्रतिबद्धता से उम्मीद बनी हुई है कि जल्द ही मुंबई की सड़कें न केवल मजबूत होंगी, बल्कि शहर की शान भी बढ़ाएंगी।

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