Bhandup Child Tortured Over Superstition: मुंबई, एक ऐसा शहर जो अपनी रफ्तार और विविधता के लिए जाना जाता है, एक बार फिर एक दिल दहला देने वाली घटना के कारण सुर्खियों में है। भांडुप में एक दंपति ने अपनी घरेलू सहायिका के दो साल के बेटे पर अंधविश्वास (अंधविश्वास/superstition) के नाम पर क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। इस दंपति ने बच्चे को “भूत-प्रेत से मुक्त” करने के लिए मोमबत्ती से जलाने और मारपीट करने जैसे अमानवीय कृत्य किए। इस घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया, बल्कि सामाजिक जागरूकता और अंधविश्वास के खिलाफ कानूनी कार्रवाई (anti-superstition law/अंधविश्वास विरोधी कानून) की जरूरत को भी उजागर किया है।
लगभग दो सप्ताह पहले, एक 37 वर्षीय महिला ने भांडुप में वैभव कोकरे और उनकी पत्नी वैभवी उर्फ हर्षदा गुरव के घर में घरेलू सहायिका के रूप में काम शुरू किया था। महिला का पति लकवाग्रस्त है, इसलिए वह अपने ढाई साल के बेटे को साथ लाती थी। बच्चा, जैसा कि इस उम्र के बच्चे होते हैं, ऊर्जावान था और शाम को घर में इधर-उधर दौड़ता रहता था। लेकिन इस मासूम व्यवहार ने दंपति को परेशान कर दिया। उन्होंने महिला से कहा कि उसका बेटा “भूत-प्रेत से ग्रस्त” है, जिसके कारण वह इतना सक्रिय है। दंपति ने दावा किया कि वे “अघोरी प्रथाओं” के जरिए बच्चे को ठीक कर सकते हैं। उन्होंने महिला को बच्चे के “इलाज” के लिए उनके साथ रहने के लिए कहा।
महिला, जो अपने बच्चे के लिए चिंतित थी और शायद दंपति की बातों से प्रभावित थी, ने उनकी सलाह मान ली। लेकिन कुछ ही दिनों में उसे सच्चाई पता चली। दंपति ने बच्चे को ठीक करने के नाम पर उस पर मोमबत्ती से जलाने और मारपीट करने जैसे क्रूर कृत्य शुरू कर दिए। बच्चे के शरीर पर जलने के निशान और चोटें थीं, जो उसकी मां के लिए असहनीय हो गया। बुधवार को, महिला ने किसी तरह अपने बेटे को लेकर दंपति के घर से भागने में सफलता पाई। उसने अपने रिश्तेदारों से संपर्क किया, जिन्होंने उसे भांडुप पुलिस स्टेशन ले जाकर शिकायत दर्ज करने में मदद की।
महिला की शिकायत के आधार पर, पुलिस ने वैभव और वैभवी कोकरे के खिलाफ महाराष्ट्र मानव बलि और अन्य अमानवीय, दुष्ट और अघोरी प्रथाओं और काला जादू निवारण और उन्मूलन अधिनियम, 2013 के तहत मामला दर्ज किया। गुरुवार को दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया और स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या यह दंपति किसी बड़े गिरोह का हिस्सा है, जो ऐसी अमानवीय प्रथाओं में शामिल हो सकता है। बच्चे को वाडिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है।
इस घटना ने भांडुप जैसे घनी आबादी वाले इलाके में अंधविश्वास (superstition/अंधविश्वास) की गहरी जड़ों को उजागर किया है। दंपति ने बच्चे की मां को यह विश्वास दिलाया था कि उसका बेटा असामान्य व्यवहार के कारण किसी “बुरी आत्मा” के प्रभाव में है। इस तरह की मान्यताएं आज भी समाज के कुछ हिस्सों में मौजूद हैं, जहां लोग बीमारी या व्यवहार को समझाने के लिए वैज्ञानिक तर्क के बजाय काला जादू या अघोरी प्रथाओं पर भरोसा करते हैं। इस मामले में, बच्चे की मां, जो अपने पति की बीमारी और आर्थिक तंगी से जूझ रही थी, शायद दंपति की बातों में आसानी से फंस गई।
पुलिस के अनुसार, दंपति ने न केवल बच्चे को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि उसकी मां पर भी भावनात्मक दबाव डाला। एक रिश्तेदार, दत्ताराम कदम, ने बताया कि महिला ने अचानक संपर्क तोड़ लिया था और उसका फोन भी बंद कर दिया गया था। उसने अपने रिश्तेदारों को बताया कि वह दंपति के घर से बाहर नहीं निकल पा रही थी और उसका शरीर भारी लग रहा था। यह स्थिति उस मानसिक दबाव को दर्शाती है, जिसका सामना महिला को करना पड़ा। आखिरकार, उसने हिम्मत जुटाकर अपने बच्चे को बचाया और पुलिस की मदद मांगी।