मुंबई यूनिवर्सिटी (MU) से जुड़े 900 से अधिक कॉलेजों में से आधे में आज भी एक ज़रूरी कमेटी का गठन नहीं किया गया है, जो शैक्षणिक और प्रशासनिक मामलों में सलाह देने का काम करती है। ताज़ा जानकारी के अनुसार, केवल 413 कॉलेजों में कॉलेज विकास समिति (CDC) बनाई गई है।
महाराष्ट्र पब्लिक यूनिवर्सिटी एक्ट 2016 के तहत राज्य के हर कॉलेज के लिए CDC बनाना अनिवार्य है। इस कमेटी में कॉलेज प्रिंसिपल, शिक्षक, नॉन-टीचिंग स्टाफ, छात्रों के साथ ही शिक्षा, उद्योग, शोध और समाजसेवा के क्षेत्र से स्थानीय सदस्य शामिल होते हैं।
CDC को कॉलेज के सतत विकास के लिए सालाना योजना, कैलेंडर और बजट की रूपरेखा तैयार करनी होती है। नए कोर्सेस से लेकर अनुशासन, सुरक्षा से जुड़े मामलों पर यह समिति अपनी सिफारिशें देती है। साल में कम से कम चार बार कमेटी की बैठक होनी चाहिए और इसकी सालाना रिपोर्ट जून के अंत तक यूनिवर्सिटी को सौंप दी जानी चाहिए।
लेकिन, मुंबई यूनिवर्सिटी ने सभी कॉलेजों को सर्कुलर जारी कर CDC के गठन का निर्देश दिया है, और इसे न मानने पर नए दाख़िलों पर रोक लगाने की चेतावनी भी दी है।
सीनेट सदस्य और शिक्षक विजय पवार के मुताबिक, कई कॉलेज मनमानी करने के लिए जानबूझकर CDC नहीं बनाते हैं। इससे शोध प्रस्तावों और शिक्षकों की पदोन्नति में देरी होती है।
समिति के अभाव में कॉलेज से जुड़े तमाम अहम फैसलों में देरी होती है जिसका सीधा असर छात्रों के भविष्य पर पड़ता है