क्या किसी कोर्ट के पास FIR को रद्द करने का अधिकार होता है? क्या सेशंस कोर्ट ऐसा कर सकता है? इन सवालों का जवाब हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक मामले में दिया है।
कई बार लोग छोटी-मोटी घटनाओं को लेकर सीधे कोर्ट चले जाते हैं। अगर पुलिस FIR दर्ज नहीं करती है, तो वो मैजिस्ट्रेट के पास जाकर शिकायत करते हैं। मैजिस्ट्रेट पुलिस को FIR दर्ज करने का आदेश दे सकते हैं।
बॉम्बे हाई कोर्ट के एक ताज़ा फैसले के मुताबिक, FIR को रद्द करने का अधिकार सेशंस कोर्ट के पास नहीं होता। हालांकि, सेशंस कोर्ट मैजिस्ट्रेट के FIR दर्ज करने के आदेश पर रोक लगा सकता है।
सेशंस कोर्ट रोक क्यों लगा सकता है? दो स्थितियाँ हो सकती हैं:
पहली स्थिति: पुलिस ने अभी FIR दर्ज नहीं की है। तब सेशंस कोर्ट, पुलिस को FIR दर्ज करने से रोक सकता है।
दूसरी स्थिति: अगर FIR दर्ज हो चुकी है, तो सेशंस कोर्ट आगे की जाँच पर रोक लगा सकता है और मैजिस्ट्रेट के आदेश को भी रद्द कर सकता है।
लेकीन, सेशन कोर्ट सिर्फ रोक लगा सकता है, FIR को पूरी तरह से रद्द नहीं कर सकता। FIR या चार्जशीट रद्द करने का अधिकार सिर्फ हाई कोर्ट के पास होता है।