महाराष्ट्रमुंबई

मुंबई के भिवंडी में पुल हादसा: दो महीने पहले बना पुल पहली ही बारिश में बह गया

भिवंडी, पुल हादसा

मुंबई में मानसून की शुरुआत होते ही बारिश ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। इस बीच भिवंडी तालुका में एक गंभीर हादसा हो गया। दो महीने पहले ही भिवंडी के सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा मढवीपाडा-भरे नगर भंडारपाडा को जोड़ने के लिए एक पुल बनाया गया था, जो पहली ही बारिश में नदी के तेज बहाव में बह गया। यह पुल चिंबिपाडा इलाके के आदिवासी बहुल क्षेत्र में बनाया गया था। पुल के बह जाने से स्थानीय लोगों को आने-जाने में भारी परेशानी हो रही है और उनमें आक्रोश भी देखा जा रहा है।

जब यह हादसा हुआ, उस समय पुल से कोई गुजर नहीं रहा था, इसलिए किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई। हालांकि, स्थानीय निवासियों का कहना है कि पुल के निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया था, जिसके चलते यह पहली बारिश में ही ढह गया। इस घटना ने भिवंडी और आसपास के ग्रामीण इलाकों में आवागमन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।

स्थानीय आदिवासी समुदाय ने इस घटना के बाद सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया है। श्रमजीवी संगठन ने पुल के निर्माण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि इस पुल के ढह जाने से PWD के भ्रष्ट प्रबंधन की पोल खुल गई है।

कुहे ग्राम पंचायत के सरपंच और ग्राम सेवक गणेश जाधव ने पीडब्ल्यूडी के उप अभियंता और गट विकास अधिकारी को सूचित करते हुए पुल के पुनः निर्माण की मांग की है। हालांकि, सरपंच गणेश जाधव को यह जानकारी नहीं है कि यह पुल किस योजना के तहत बनाया गया था और इसकी लागत कितनी थी। जाधव ने बताया कि PWD द्वारा टेंडर निकालकर पुल का निर्माण कराया गया था, इसलिए इसके संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

भिवंडी पंचायत समिति के गट विकास अधिकारी डॉ. प्रदीप घोरपड़े ने भी कहा कि उन्हें इस पुल के निर्माण के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह पुल PWD द्वारा बनाया गया था और इसके संबंध में अधिक जानकारी उप अभियंता को होगी। हालांकि, जब उप अभियंता गिते से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनका मोबाइल बंद था।

श्रमजीवी संगठन ने PWD के उप अभियंता को पत्र लिखकर संबंधित इंजीनियर और पुल बनाने वाले ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करने और तुरंत नए पुल के निर्माण की मांग की है।

भिवंडी तालुका का चिंबिपाडा इलाका मुख्य रूप से आदिवासी बहुल क्षेत्र है। यहां के ज्यादातर आदिवासी पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं और उनके लिए यह पुल बहुत महत्वपूर्ण था। इस पुल के टूट जाने से आदिवासी समुदाय के लोगों, खासकर छात्रों को स्कूल जाने में भारी परेशानी हो रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि पुल का मलबा आसपास के किसानों के खेतों में बह गया है, जिससे उनकी फसलों को भी नुकसान हुआ है।

आदिवासी समाज ने इस पुल के निर्माण के लिए लंबे समय से मांग की थी। जब यह पुल दो महीने पहले बना था, तो आदिवासी समुदाय ने जश्न मनाया था। लेकिन उनकी खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकी। अब वे पुल के पुनः निर्माण की मांग कर रहे हैं और इस बार गुणवत्तापूर्ण निर्माण की उम्मीद कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें: बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश: जुर्माना न भरने पर जेल में बंद व्यक्ति को तत्काल रिहा किया जाए

You may also like