Congress Shiv Sena NCP Agreement: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए राजनीतिक मैदान पूरी तरह से तैयार हो गया है। कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और शरद पवार के एनसीपी (शरद पवार गुट) ने सीटों के बंटवारे पर मुहर लगा दी है।
महाराष्ट्र चुनाव डील (Maharashtra Election Deal) के तहत तीनों पार्टियों ने 85-85 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जबकि बाकी 18 सीटें सहयोगी दलों को दी जाएंगी। इस बंटवारे ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है।
तीनों प्रमुख दलों का सीट बंटवारा: क्या है फाइनल डील?
मंगलवार को देर रात तक चली बैठकों के बाद महा विकास अघाड़ी (MVA) के घटक दलों के बीच सीटों का अंतिम समझौता हो गया। महाराष्ट्र चुनाव डील (Maharashtra Election Deal) के तहत कांग्रेस, शिवसेना (UBT), और एनसीपी (शरद पवार गुट) ने प्रत्येक 85 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई है। बाकी बची 18 सीटें सहयोगी दलों, जैसे कि समाजवादी पार्टी, स्वाभिमानी पक्ष और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), को दी जाएंगी।
हालांकि, शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने स्पष्ट किया कि सीटों का बंटवारा तो हो गया है, लेकिन कौन किस सीट से चुनाव लड़ेगा, इस पर अभी चर्चा बाकी है। शिवसेना ने कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है, जिसमें उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे का वर्ली से चुनाव लड़ना शामिल है।
क्या कांग्रेस-शिवसेना और एनसीपी के बीच सब ठीक है?
शिवसेना (UBT) ने अपनी 65 सीटों पर उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है, जबकि कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) की सूची अभी आनी बाकी है। शिवसेना के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है, खासकर तब, जब पार्टी दो धड़ों में बंटी हुई है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को एक मजबूत संदेश देना है कि उनकी पार्टी अभी भी महाराष्ट्र की राजनीति में प्रासंगिक है।
कांग्रेस के नाना पटोले ने कहा है कि इस बार कांग्रेस शिवसेना एनसीपी समझौता (Congress Shiv Sena NCP Agreement) मजबूत है, और हम साथ मिलकर बीजेपी को चुनौती देंगे। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि 18 सीटों पर सहयोगी दलों के साथ चर्चा चल रही है और जल्द ही इस पर भी फैसला हो जाएगा।
शिवसेना का संघर्ष और उद्धव ठाकरे की रणनीति
शिवसेना के लिए यह चुनाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। 2019 में पार्टी में बगावत होने के बाद उद्धव ठाकरे को अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए इस चुनाव में हर सीट पर जोर लगाना होगा। पार्टी ने पहले ही आदित्य ठाकरे को वर्ली से उम्मीदवार बनाकर एक बड़ा दांव खेला है। उद्धव ठाकरे की योजना है कि वे कांग्रेस शिवसेना एनसीपी समझौता (Congress Shiv Sena NCP Agreement) के तहत अधिकतम सीटें जीतें और महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से अपनी पार्टी को स्थापित करें।
लेकिन इस बार के चुनाव में उद्धव ठाकरे के सामने चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। एक तरफ शिवसेना का शिंदे गुट मजबूत हो चुका है और दूसरी ओर बीजेपी ने अपने गठबंधन को और सशक्त कर लिया है। महा विकास अघाड़ी को शिंदे और बीजेपी के इस गठजोड़ का सामना करना होगा।
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