मुंबई हाई कोर्ट ने बेस्ट (BEST) को कर्मचारियों के रिटायरमेंट के पैसे न देने पर जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि ये पैसे कर्मचारियों का हक है, कोई खैरात नहीं।
गैरतलब है कि बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (BEST) के कई रिटायर्ड कर्मचारी अपने बकाया पैसे के लिए परेशान हैं। इस मामले में हाई कोर्ट ने बेस्ट को फटकार लगाई है और कर्मचारियों के हक में फैसला सुनाया है।
हाई कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि बेस्ट कर्मचारियों के रिटायरमेंट के पैसे देने में देरी नहीं कर सकता। ये पैसे कर्मचारियों का हक है और उन्हें जल्द से जल्द मिलने चाहिए। कोर्ट ने बेस्ट को तीन महीने के अंदर सभी कर्मचारियों के बकाया का 30% हिस्सा देने का आदेश दिया है, और अपने आदेश के साथ-साथ कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर बेस्ट के पास पैसे की कमी है तो वो बीएमसी से मदद ले सकता है। बेस्ट और बीएमसी दोनों को ही एक आदर्श नियोक्ता की तरह काम करना चाहिए।
दरअसल बेस्ट के रिटायर्ड कर्मचारियों को काफी समय से अपने बकाया पैसे नहीं मिल रहे हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है और उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। तो वहीं बेस्ट का कहना है कि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और वो कर्मचारियों को पैसे देने में असमर्थ है। लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया है।
यकीनन हाई कोर्ट का ये फैसला कर्मचारियों के हित में है। इससे उन लोगों को राहत मिलेगी, जो लंबे समय से अपने पैसे के लिए इंतजार कर रहे हैं। ये फैसला बेस्ट और बीएमसी जैसे सरकारी संस्थानों के लिए भी एक चेतावनी है कि वे कर्मचारियों के हितों की अनदेखी नहीं कर सकते।
बताया जा रहा है कि बेस्ट के रिटायर्ड कर्मचारियों का कुल बकाया 600 करोड़ रुपये है, जिसमें से कोर्ट ने बेस्ट को तीन महीने के अंदर 180 करोड़ रुपये बांटने का आदेश दिया है।
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