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Land-Based Cable-Stayed Bridge: मुंबई का पहला लैंड-बेस्ड केबल-स्टेड ब्रिज, रे रोड और टिटवाला में नए आरओबी का उद्घाटन

Land-Based Cable-Stayed Bridge: मुंबई का पहला लैंड-बेस्ड केबल-स्टेड ब्रिज, रे रोड और टिटवाला में नए आरओबी का उद्घाटन

मुंबई के लिए एक ऐतिहासिक दिन बन गया, जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शहर के पहले लैंड-बेस्ड केबल-स्टेड ब्रिज (Land-Based Cable-Stayed Bridge) का उद्घाटन किया। रे रोड पर बना यह पुल न केवल मुंबई की बुनियादी ढांचे की प्रगति का प्रतीक है, बल्कि यह शहर की सघन शहरी संरचना में एक आधुनिक इंजीनियरिंग का चमत्कार भी है। इसके साथ ही, टिटवाला में एक और रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) का उद्घाटन हुआ, जिसे महाराष्ट्र रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमआरआईडीसी), जिसे महारेल (MahaRail) के नाम से भी जाना जाता है, ने बनाया है। इस लेख में हम रे रोड ब्रिज (Reay Road Bridge) और महारेल (MahaRail) के योगदान को सरल और रोचक ढंग से जानेंगे, जो नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा और जानकारी का स्रोत है।

रे रोड ब्रिज, जो 385 मीटर लंबा है, मुंबई की हार्बर लाइन पर रे रोड और डॉकयार्ड रोड स्टेशनों के बीच बनाया गया है। यह पुल बायकला और मझगांव को जोड़ता है, जिससे शहर के पूर्व-पश्चिम कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है। पुराने ब्रिटिश-युग के पुल, जो 1910 में बना था, को फरवरी 2022 में ध्वस्त कर दिया गया था, क्योंकि यह अपनी आयु पूरी कर चुका था और बढ़ते ट्रैफिक के लिए अपर्याप्त था। नए पुल का निर्माण केवल दो साल में पूरा हुआ, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इसकी छह लेन और पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ इसे मुंबई की व्यस्त सड़कों के लिए एकदम उपयुक्त बनाते हैं। यह पुल न केवल कार्यक्षमता में बेहतर है, बल्कि इसकी थीम-बेस्ड एलईडी लाइटिंग, जिसे दुबई की एक मशहूर कंसल्टेंसी फर्म ने डिजाइन किया है, इसे रात में एक शानदार दृश्य बनाती है। यह वही फर्म है, जिसने दुबई के बुर्ज खलीफा की लाइटिंग डिजाइन की थी।

रे रोड ब्रिज का निर्माण महारेल (MahaRail) की देखरेख में हुआ, जिसे बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सौंपी थी। महारेल, जो महाराष्ट्र सरकार और रेल मंत्रालय का संयुक्त उद्यम है, ने इस प्रोजेक्ट को 266 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया। इसकी डिजाइन ताइवान की प्रसिद्ध इंजीनियरिंग फर्म वीकॉन ने तैयार की, जबकि आईआईटी मुंबई ने इसके स्ट्रक्चरल ड्रॉइंग्स की जांच की। निर्माण के दौरान गुणवत्ता और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया। सर्टिफिकेशन इंजीनियर्स इंटरनेशनल लिमिटेड, जो भारत सरकार की एक इकाई है, ने भी इसकी निगरानी की। यह सुनिश्चित किया गया कि हर स्तर पर उच्चतम मानकों का पालन हो, जिससे यह पुल न केवल मजबूत हो, बल्कि लंबे समय तक टिकाऊ भी रहे।

इस पुल की खासियत इसकी आधुनिक तकनीक और डिजाइन में छिपी है। इसमें सेंट्रल पाइलन सिस्टम का उपयोग किया गया है, जिसमें स्टे केबल्स पुल के मध्य रीढ़ की हड्डी से जुड़े हैं। इस डिजाइन में कम पियर्स और नींव की जरूरत पड़ती है, जिससे निर्माण के दौरान भूमिगत उपयोगिताओं और ट्रैफिक में कम व्यवधान हुआ। यह पुल बैरिस्टर नाथ पाई रोड के अंडरपास से ट्रैफिक को सुचारू रूप से गुजरने की अनुमति देता है और ईस्टर्न फ्रीवे के नीचे से गुजरने वाले वाहनों के लिए भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) मानकों के अनुसार आवश्यक ऊंचाई भी प्रदान करता है। इसके अलावा, पुल में एक ब्रिज हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम भी शामिल है, जो इसकी संरचनात्मक सुरक्षा को बनाए रखने में मदद करता है। ये सभी विशेषताएं रे रोड ब्रिज को मुंबई के लिए एक अनूठा और महत्वपूर्ण ढांचा बनाती हैं।

रे रोड ब्रिज के उद्घाटन के साथ ही, टिटवाला में 820 मीटर लंबा एक और रोड ओवर ब्रिज भी खोला गया। यह चार लेन वाला पुल, जिसकी लागत 100.06 करोड़ रुपये है, कल्याण रिंग रोड पर टिटवाला और खडवली रेलवे स्टेशनों के बीच बनाया गया है। यह पुल अंबिवली को कल्याण से जोड़ता है और प्रसिद्ध श्री सिद्धिविनायक गणेश मंदिर के पास से होकर गुजरता है। इसकी डिजाइन रेलवे संचालन को बाधित किए बिना बनाई गई है, जिससे ट्रेनों का संचालन बिना देरी के जारी रहता है। दोनों तरफ समर्पित सर्विस रोड्स भी प्रदान किए गए हैं, जो पीक आवर्स में वाहनों की आवाजाही को और आसान बनाते हैं। इस तरह, रे रोड ब्रिज (Reay Road Bridge) और टिटवाला ब्रिज दोनों ही मुंबई और उसके उपनगरीय क्षेत्रों में ट्रैफिक की भीड़ को कम करने और सड़क सुरक्षा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

महारेल ने इन पुलों में कई नवाचार भी शामिल किए हैं। उदाहरण के लिए, रे रोड ब्रिज में एक विशेष “कंक्रीट क्रैश बैरियर विथ इंटीग्रेटेड यूटिलिटी डक्ट” का उपयोग किया गया है, जिसके लिए महारेल को पेटेंट मिला है। यह सिस्टम सभी यूटिलिटी केबल्स को क्रैश बैरियर्स में बने डक्ट्स के अंदर सुरक्षित रखता है, जिससे वे बाहरी तत्वों से बचे रहते हैं। इसके अलावा, पुल के आरसीसी डेक और अप्रोच हिस्सों पर उच्च गुणवत्ता वाला वियरिंग कोट लगाया गया है, जो ड्राइविंग सतह को चिकना बनाता है और पुल की आयु को बढ़ाता है। सेंट्रल इलेक्ट्रो केमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीईसीआरआई) द्वारा विकसित चार-कोट एपॉक्सी पेंट सिस्टम का उपयोग भी किया गया है, जो कंक्रीट सतहों को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है।

रे रोड ब्रिज की थीम-बेस्ड लाइटिंग न केवल इसकी सौंदर्य अपील को बढ़ाती है, बल्कि इसे मुंबई की रात की स्काईलाइन का एक आकर्षक हिस्सा भी बनाती है। महारेल भविष्य में इन लाइटिंग सिस्टम्स के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करने की संभावनाएं तलाश रहा है, ताकि ऊर्जा लागत को कम किया जा सके। इसके अलावा, महारेल ने पूरे महाराष्ट्र में अपने सभी रोड ओवर ब्रिज्स के लिए एक समान डिजाइन पैटर्न और लोगो अपनाया है, जो इसकी ब्रांड पहचान को मजबूत करता है। ये सभी प्रयास दर्शाते हैं कि महारेल (MahaRail) न केवल बुनियादी ढांचे के विकास में, बल्कि नवाचार और सौंदर्यशास्त्र में भी अग्रणी है।

रे रोड ब्रिज का उद्घाटन मुंबई के लिए एक नई शुरुआत है। यह शहर की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया है और ट्रैफिक की भीड़ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मुख्यमंत्री फडणवीस ने उद्घाटन के दौरान कहा कि यह पुल मुंबई के लिए एक अनूठा और तेजी से बनाया गया ढांचा है, जो लाखों यात्रियों को लाभ पहुंचाएगा। महारेल के प्रबंध निदेशक राजेश कुमार जायसवाल ने भी इस अवसर पर अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि यह पुल मुंबई के परिवहन नेटवर्क की कनेक्टिविटी, सुरक्षा और दक्षता को बढ़ाएगा। यह प्रोजेक्ट महाराष्ट्र सरकार के “रेलवे फाटक फ्री” राज्य के लक्ष्य को भी समर्थन देता है।

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