नवी मुंबई नगरपालिका (NMMC) ने जो नया डेवलपमेंट प्लान (DP) बनाया है, उसमें बड़ी गड़बड़ी हो गई है! अंग्रेज़ी और मराठी वर्ज़न में ज़मीन-आसमान का अंतर है। लोगों का कहना है कि ये या तो जानबूझकर किया गया है, या फिर सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही है।
NMMC ने जो DP राज्य सरकार को भेजी है, उसमें नेरुल इलाके को लेकर बड़ा घालमेल है। मराठी वर्ज़न में सेक्टर 52A के विकास की बात हो रही है, जबकि अंग्रेज़ी में सेक्टर 52 (DPS लेक) का ज़िक्र है। मतलब, जहां अभी पानी है, उसे रिहायशी ज़ोन बना दिया गया है, कम से कम अंग्रेज़ी वर्ज़न के हिसाब से तो! कुछ लोगों का कहना है कि बिल्डरों ने मिलकर ये हेरा-फेरी की है ताकि वो तालाबों पर कब्ज़ा करके इमारतें खड़ी कर सकें।
एक नागरिक, सुनील अग्रवाल, का कहना है कि ये सिर्फ एक गड़बड़ी है जो उन्होंने पकड़ी है – पता नहीं और कितने गोलमाल होंगे अंग्रेज़ी और मराठी वर्ज़न में! NMMC के टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट की ये हालत है – इतने अहम डॉक्यूमेंट में भी ग़लतियां कर देंगे!
कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि NMMC ने ये बदलाव CIDCO के कहने पर किए हैं, ताकि हरे-भरे इलाके और मैंग्रोव वगैरह सब खत्म करके वहां बिल्डिंग बन जाए। इससे नवी मुंबई की पूरी इकोलॉजी खराब हो जाएगी, और बारिश में बाढ़ का खतरा भी बढ़ेगा! इस गड़बड़ी का फायदा उठाकर अब बिल्डर लोग खूब पैसा कमाने की सोच रहे होंगे! बेचारे आम नागरिकों की कौन सुनता है? नवी मुंबई के लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि DP की फिर से छानबीन की जाए और नया नोटिस छापा जाए।