भारत की संसद में एक बड़ा बदलाव हुआ है। 24 नई समितियां बनाई गई हैं जो देश के अलग-अलग मुद्दों पर काम करेंगी। संसदीय समितियों का गठन (Parliamentary Committees Formation) एक महत्वपूर्ण कदम है जो सरकार और विपक्ष के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा।
राहुल गांधी की नई भूमिका: रक्षा समिति में एंट्री
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को एक अहम जिम्मेदारी मिली है। वे अब रक्षा मंत्रालय से जुड़ी समिति के सदस्य बन गए हैं। यह उनके लिए एक नई चुनौती होगी क्योंकि इस समिति में देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होती है। राहुल गांधी के साथ इस समिति में भाजपा के राधा मोहन सिंह भी होंगे जो इसके अध्यक्ष हैं।
शशि थरूर: विदेश नीति के नए चेहरे
कांग्रेस के एक और दिग्गज नेता शशि थरूर को भी एक बड़ी जिम्मेदारी मिली है। उन्हें विदेश मंत्रालय से जुड़ी समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। थरूर पहले से ही अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार माने जाते हैं। अब वे भारत की विदेश नीति पर नजर रखेंगे और उसमें सुधार के सुझाव देंगे।
भाजपा और विपक्ष के बीच समितियों का बंटवारा
संसदीय समितियों का गठन (Parliamentary Committees Formation) में भाजपा और विपक्षी दलों के बीच एक रोचक मुकाबला देखने को मिला है। भाजपा को 11 समितियों की अध्यक्षता मिली है जबकि विपक्षी दलों के पास 13 समितियों की कमान है। यह बंटवारा दिखाता है कि सरकार ने विपक्ष को भी महत्वपूर्ण भूमिका दी है।
कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) और समाजवादी पार्टी जैसे विपक्षी दलों को भी कुछ समितियों की जिम्मेदारी दी गई है। यह कदम संसद में सभी दलों की भागीदारी बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
नए चेहरे नई जिम्मेदारियां
इस बार की समितियों में कुछ नए और रोचक नाम भी शामिल हुए हैं। उदाहरण के लिए क्रिकेटर से नेता बने हरभजन सिंह को शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी समिति का सदस्य बनाया गया है। यह कदम युवा नेताओं को मौका देने की दिशा में उठाया गया है।
इसी तरह अनुराग ठाकुर को कोयला और खनन मंत्रालय की समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। निशिकांत दुबे को संचार और IT मंत्रालय की समिति की जिम्मेदारी दी गई है। ये सभी नियुक्तियां दिखाती हैं कि सरकार नए और पुराने नेताओं का मिश्रण बनाने की कोशिश कर रही है।
समितियों का महत्व: लोकतंत्र की मजबूती
संसदीय समितियां भारतीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये समितियां सरकार द्वारा लाए गए कानूनों की जांच करती हैं मंत्रालयों के काम पर नजर रखती हैं और जनता की शिकायतों को सुनती हैं। संसदीय समितियों का गठन (Parliamentary Committees Formation) इन कामों को बेहतर तरीके से करने के लिए किया जाता है।
इन समितियों में अलग-अलग दलों के सदस्य होते हैं। वे मिलकर देश हित में काम करते हैं। इससे सरकार और विपक्ष के बीच संवाद बढ़ता है और बेहतर नीतियां बनती हैं।
नई समितियों से उम्मीदें
नई बनी समितियों से उम्मीद की जा रही है कि वे देश के सामने आने वाली चुनौतियों पर गंभीरता से काम करेंगी। रक्षा विदेश मामले शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इन समितियों की भूमिका अहम होगी।
इन समितियों के गठन से संसद में बहस और विचार-विमर्श की गुणवत्ता में सुधार आने की उम्मीद है। विभिन्न दलों के नेताओं के एक साथ काम करने से सहयोग और समन्वय की भावना भी बढ़ेगी। यह भारतीय लोकतंत्र को और मजबूत बनाने में मदद करेगा।
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