शिवसेना के वरिष्ठ नेता गजानन कीर्तिकर ने हाल ही में अपनी पार्टी के भीतर से आलोचना का सामना किया है। उनके द्वारा महाविकास आघाडी (MVA) के पक्ष में दिए गए बयान को लेकर पार्टी के कुछ सदस्यों ने उनकी निंदा की है। गजानन कीर्तिकर ने अपने बयान में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के प्रति समर्थन व्यक्त किया और यह भी बताया कि उन्होंने चुनाव के दौरान पार्टी और उसके उम्मीदवार के लिए कठिन परिश्रम किया है।
इस विवाद की जड़ में यह है कि कीर्तिकर ने लोकसभा चुनावों में MVA के अच्छे प्रदर्शन की संभावना जताई थी, जिससे पार्टी के भीतर असंतोष उत्पन्न हुआ। शिवसेना के उपनेता शिशिर शिंदे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर गजानन कीर्तिकर को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के लिए पार्टी से निष्कासित करने की मांग की है।
शिशिर शिंदे का आरोप है कि कीर्तिकर ने अपने बेटे अमोल कीर्तिकर, जो शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के उम्मीदवार हैं, का समर्थन किया है और इससे पार्टी के हितों को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि कीर्तिकर ने अपने सांसद निधि का इस्तेमाल अपने बेटे के प्रचार के लिए किया है, जिससे शिवसेना (UBT) को लाभ हुआ है, न कि शिवसेना पार्टी को।
गजानन कीर्तिकर ने अपने निष्कासन की मांगों के जवाब में कहा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है और चुनाव के दौरान पार्टी और उसके उम्मीदवार के लिए पूरी निष्ठा से काम किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि पार्टी को उन्हें निष्कासित करने का निर्णय आंतरिक रूप से लेना चाहिए और इस तरह की बातें सार्वजनिक रूप से नहीं कही जानी चाहिए।
यह घटना महाराष्ट्र की राजनीति में अंतर्कलह और असंतोष को दर्शाती है, जो अक्सर गठबंधन राजनीति में देखने को मिलती है। इस तरह के विवाद पार्टी की एकता और सामंजस्य को प्रभावित करते हैं और इसके नतीजे चुनावी परिणामों पर भी असर डाल सकते हैं।