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Taslima’s Permanent Stay in India: दो दशक का इंतजार, तसलीमा को मिली भारत में रहने की स्थायी अनुमति

Taslima's Permanent Stay in India: दो दशक का इंतजार, तसलीमा को मिली भारत में रहने की स्थायी अनुमति
Taslima’s Permanent Stay in India: निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन के लिए भारत में एक नया अध्याय शुरू हो गया है। गृह मंत्रालय द्वारा उनके निवास परमिट को मंजूरी मिलने के बाद, उनके भारत में रहने का मार्ग प्रशस्त हो गया है, जो उनके लिए पिछले कई वर्षों से दूसरा घर बन चुका है।

जीवन का नया मोड़

तसलीमा निवास विवाद (Taslima Residence Controversy) ने हाल ही में एक नया मोड़ लिया है। गृह मंत्रालय द्वारा उनके निवास परमिट को मंजूरी मिलने से पहले, तसलीमा ने गृह मंत्री अमित शाह से सोशल मीडिया के माध्यम से मदद की गुहार लगाई थी। तसलीमा निवास विवाद (Taslima Residence Controversy) के समाधान ने न केवल उनके जीवन को एक नई दिशा दी है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की उदारता को भी प्रदर्शित किया है।

बांग्लादेश से भारत तक का सफर

तसलीमा नसरीन का जीवन संघर्षों और साहस की कहानी है। 1994 में बांग्लादेश में धार्मिक कट्टरपंथ के खिलाफ आवाज उठाने के कारण उन्हें अपना देश छोड़ना पड़ा। उनकी पुस्तक ‘लज्जा’ ने धार्मिक कट्टरता और महिला अधिकारों के मुद्दों को वैश्विक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया। इसके बाद उन्हें कई देशों में शरण लेनी पड़ी, जिनमें स्वीडन, जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका शामिल हैं।

साहित्यिक योगदान और सामाजिक प्रभाव

भारत में रहते हुए तसलीमा ने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं को छुआ है। उनकी रचनाएं महिला सशक्तिकरण, धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय के विषयों पर केंद्रित रही हैं। ‘आमार मेयेबेला’ जैसी किताबों ने पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ी है।

निवास परमिट का मुद्दा

भारत में तसलीमा का स्थायी निवास (Taslima’s Permanent Stay in India) जुलाई 2024 में एक बड़ा मुद्दा बन गया, जब उनका निवास परमिट समाप्त हो गया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावुक अपील की, जिसमें उन्होंने भारत के प्रति अपने प्रेम और यहां रहने की इच्छा को व्यक्त किया। उन्होंने लिखा कि पिछले 20 वर्षों से भारत उनका दूसरा घर रहा है।

भारत सरकार का समर्थन

गृह मंत्रालय द्वारा उनके निवास परमिट को नवीनीकृत करने का निर्णय भारत की उदार नीतियों का प्रतीक है। यह निर्णय न केवल एक लेखिका के प्रति सम्मान दर्शाता है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है।

वर्तमान स्थिति

तसलीमा अब भारत में अपना जीवन सामान्य रूप से जारी रख सकेंगी। वे अपने लेखन और सामाजिक कार्यों को जारी रख सकती हैं। उनकी उपस्थिति भारतीय साहित्य और सामाजिक परिदृश्य को समृद्ध करती रहेगी। उनके अनुभव और विचार नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।

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