मुंबई

Thane Rail Accident: 20 हजार की नौकरी, घर का इकलौता सहारा और जिंदगी की आखिरी लोकल, केतन की कहानी रुला देगी

Thane Rail Accident: 20 हजार की नौकरी, घर का इकलौता सहारा और जिंदगी की आखिरी लोकल, केतन की कहानी रुला देगी

हर सुबह मुंबई की लोकल ट्रेनें लाखों लोगों की जिंदगी का हिस्सा बनती हैं। भीड़भाड़, जल्दबाजी और रोजमर्रा की भागदौड़ के बीच ये ट्रेनें शहर की धड़कन हैं। लेकिन 9 जून 2025 की सुबह ठाणे के मुंब्रा रेलवे स्टेशन के पास एक ऐसी घटना हुई, जिसने कई परिवारों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी। इस ठाणे रेल हादसे (Thane Rail Accident) ने पांच लोगों की जान ले ली, और उनमें से एक था 23 साल का केतन सरोज, जो अपने परिवार का इकलौता सहारा था। केतन की कहानी हर उस शख्स की कहानी है, जो सपनों और जिम्मेदारियों के बीच जिंदगी जीता है।

केतन सरोज उल्हासनगर के हनुमान नगर में अपने परिवार के साथ रहता था। सुबह साढ़े आठ बजे, जैसे हर दिन करता था, वह शहाड से सीएसटी जाने वाली लोकल ट्रेन में सवार हुआ। उसका बैग कंधे पर था, और सपने दिल में। ठाणे की एक मार्केटिंग कंपनी में उसे चार महीने पहले 20 हजार रुपये की नौकरी (20 Thousand Job) मिली थी। यह नौकरी उसके लिए सिर्फ पैसे का जरिया नहीं थी, बल्कि मां, पिता, दो भाइयों और दादा-दादी का सहारा थी। केतन का परिवार पूरी तरह उसकी कमाई पर निर्भर था। लेकिन उस सुबह, दो भीड़भाड़ वाली ट्रेनों के बीच एक छोटी सी टक्कर ने सबकुछ छीन लिया।

मुंब्रा और दिवा स्टेशनों के बीच सुबह करीब साढ़े नौ बजे यह हादसा हुआ। दो लोकल ट्रेनें एक-दूसरे के समानांतर चल रही थीं। दरवाजे पर लटके यात्रियों की भीड़ में केतन भी था। उसका बैग दूसरी ट्रेन से टकराया, और वह रेलवे ट्रैक पर गिर गया। इस हादसे में केतन समेत पांच लोगों की जान चली गई। केतन के छोटे भाई ने बताया कि उनके भाई की जिंदगी सिर्फ 20 हजार रुपये की नौकरी (20 Thousand Job) के लिए खत्म हो गई। यह सुनकर दिल दहल जाता है कि एक युवा, जो अपने परिवार का भविष्य संवार रहा था, एक पल में सबकुछ खो बैठा।

केतन का परिवार सदमे में है। हनुमान नगर और तनाजी नगर में शोक की लहर दौड़ गई। पड़ोसियों का कहना है कि केतन बहुत मेहनती और होनहार था। वह सुबह जल्दी उठता, काम पर जाता और रात को थककर घर लौटता। उसकी मेहनत से घर का हर खर्च चलता था। अब सवाल यह है कि उसके बिना परिवार का गुजारा कैसे होगा? महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के पदाधिकारी मैनुद्दीन शेख ने रेल मंत्रालय से मांग की है कि केतन के परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दी जाए। यह मांग इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि केतन अकेला कमाने वाला था, और अब उसके परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

ठाणे रेल हादसे (Thane Rail Accident) ने न सिर्फ केतन की जिंदगी छीनी, बल्कि यह सवाल भी उठाया कि लोकल ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा कितनी है? हर दिन लाखों लोग इन ट्रेनों में सफर करते हैं। दरवाजे पर लटकना, भीड़ में धक्का-मुक्की और जल्दबाजी आम बात है। लेकिन क्या ऐसी घटनाओं को रोका नहीं जा सकता? केतन के भाई ने इस हादसे की गंभीर जांच की मांग की है, ताकि भविष्य में कोई और परिवार ऐसी त्रासदी न झेले।

सरकार ने इस हादसे के बाद मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपये की सहायता और घायलों के लिए मुफ्त इलाज का ऐलान किया है। लेकिन क्या यह राशि केतन जैसे लोगों के परिवारों का दुख कम कर सकती है? केतन की कहानी सिर्फ एक हादसे की कहानी नहीं है। यह उस मेहनतकश युवा की कहानी है, जो अपने सपनों और परिवार की जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाता है। उसकी जिंदगी एक लोकल ट्रेन की तरह थी—तेज, व्यस्त और अनिश्चित।

इस हादसे ने मुंबई की लोकल ट्रेनों की हकीकत को एक बार फिर सामने ला दिया। केतन जैसे लाखों लोग हर दिन इन ट्रेनों में अपने सपनों को लेकर सफर करते हैं। लेकिन एक छोटी सी चूक उनकी जिंदगी और परिवार का भविष्य बदल देती है। केतन की कहानी सुनकर मन में यही सवाल उठता है कि आखिर कब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे? कब तक परिवार अपने इकलौते सहारे को खोते रहेंगे?

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