तमिलनाडु की प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्था, अन्ना यूनिवर्सिटी इन दिनों एक बड़े घोटाले के कारण चर्चा में है। यह घोटाला ‘घोस्ट फैकल्टी’ के नाम से जाना जा रहा है, जिसमें 211 प्रोफेसरों ने मिलकर 2000 से ज्यादा फर्जी पद भर दिए। यह खुलासा तब हुआ जब एक गैर-सरकारी संगठन, अरप्पोर इयक्कम ने विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी की गहराई से जांच की।
इस घोटाले की शुरुआत कैसे हुई, यह जानना बहुत जरूरी है। अन्ना यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर लिखा था कि उसके साथ जुड़े कॉलेजों में कुल 52,500 शिक्षक काम करते हैं। लेकिन जब अरप्पोर इयक्कम ने इस जानकारी को ध्यान से देखा, तो उन्हें कुछ गड़बड़ लगी। उन्होंने पाया कि असल में सिर्फ 50,500 शिक्षक ही हैं। यानी, 2000 पद ऐसे थे जो सिर्फ कागजों पर भरे गए थे, असल में वहां कोई शिक्षक नहीं था।
इस घोटाले में सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि कुछ शिक्षकों के नाम एक साथ कई कॉलेजों में दिखाई दे रहे थे। अरप्पोर इयक्कम के संयोजक जयराम वेंकटेशन ने बताया कि उन्होंने 352 ऐसे शिक्षकों के नाम पाए, जो एक से ज्यादा कॉलेजों में काम कर रहे थे। इनमें से कुछ तो ऐसे थे, जिनके नाम एक साथ 11 कॉलेजों में दर्ज थे। यह बात समझ से परे है कि एक शिक्षक एक साथ इतने सारे कॉलेजों में कैसे पढ़ा सकता है।
यह घोटाला सिर्फ नंबरों का खेल नहीं है। इसके पीछे एक बड़ी वजह है। दरअसल, इंजीनियरिंग कॉलेजों को चलाने के लिए कुछ नियम होते हैं। उन्हें अन्ना यूनिवर्सिटी और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) से मान्यता लेनी होती है। इसके लिए उन्हें यह दिखाना होता है कि उनके पास अच्छी इमारत, अच्छी प्रयोगशालाएं और पर्याप्त संख्या में योग्य शिक्षक हैं। लेकिन कई कॉलेज इन नियमों को पूरा करने के लिए गलत तरीके अपना रहे थे। वे एक ही शिक्षक का नाम कई जगह दिखा रहे थे, ताकि लगे कि उनके पास बहुत सारे शिक्षक हैं।
इस घोटाले का एक और पहलू है जो चिंता का विषय है। अन्ना यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. आर वेलराज ने बताया कि पिछले साल यानी 2023 में ऐसे ‘घोस्ट फैकल्टी’ की संख्या 191 थी, जो इस साल बढ़कर 211 हो गई है। यह बताता है कि यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ रही है और अगर इसे रोका नहीं गया तो यह और बड़ी हो सकती है।
इस घोटाले के सामने आने के बाद, तमिलनाडु सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक उच्च स्तरीय जांच समिति बनाने का फैसला किया है। इस समिति में अन्ना यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु सरकार और AICTE के सदस्य शामिल होंगे। उन्हें एक हफ्ते के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट देनी होगी। साथ ही, अरप्पोर इयक्कम ने सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय में भी शिकायत दर्ज कराई है, ताकि इस धोखाधड़ी को जल्द से जल्द रोका जा सके।
अन्ना यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. वेलराज ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि अगर कोई शिक्षक इस तरह की धोखाधड़ी में शामिल पाया जाता है, तो उसे तुरंत नौकरी से निकाल दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह घोटाला इसलिए पकड़ में आया क्योंकि अब सारी जानकारी ऑनलाइन रखी जाती है। यह दिखाता है कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ऐसी गड़बड़ियों को पकड़ने में मदद कर सकता है।
इस घोटाले ने तमिलनाडु के शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है। लोग सोच रहे हैं कि अगर इतनी बड़ी और प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में ऐसा हो सकता है, तो दूसरी जगहों पर क्या हो रहा होगा। यह घटना हमें बताती है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में कई खामियां हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है।
यह घोटाला सिर्फ नंबरों का मामला नहीं है। इससे हजारों छात्रों के भविष्य पर असर पड़ता है। जब कॉलेजों में पर्याप्त और योग्य शिक्षक नहीं होंगे, तो छात्रों को अच्छी शिक्षा कैसे मिलेगी? यह सवाल अब हर किसी के मन में है।
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