केरल की धरती ने एक बार फिर अपने गर्भ में छिपे इतिहास के पन्ने खोल दिए हैं। एक ऐसी घटना जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगती, वह सच में घट गई है। आइए जानते हैं इस रोमांचक कहानी के बारे में विस्तार से।
केरल के कन्नूर जिले में एक छोटा सा गांव है चेंगलई। इस गांव में कुछ मजदूर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत काम कर रहे थे। उनका काम था वर्षा जल संचयन के लिए एक गड्ढा खोदना। लेकिन उन्हें क्या पता था कि वे सिर्फ पानी के लिए नहीं, बल्कि इतिहास के लिए भी गड्ढा खोद रहे हैं!
जैसे-जैसे वे गड्ढा खोदते गए, अचानक उनकी कुदाल किसी कठोर चीज से टकरा गई। पहले तो उन्होंने सोचा कि शायद कोई बड़ा पत्थर होगा। लेकिन जब उन्होंने ध्यान से देखा, तो पाया कि वह एक पुराना बर्तन था।
मजदूरों के मन में डर और उत्सुकता दोनों थी। क्यों? क्योंकि इस इलाके में पहले ऐसी घटनाएं हुई थीं जहां लावारिस सामान में बम निकले थे। इसलिए पहली प्रतिक्रिया डर की ही थी।
डर के मारे उन्होंने बर्तन को जोर से फेंक दिया। बर्तन जमीन पर गिरा और टूट गया। लेकिन जो दृश्य उनके सामने था, वह उनकी आंखें फाड़ने वाला था। बर्तन के टूटते ही जमीन पर चमचमाते सिक्के और सोने-चांदी के आभूषण बिखर गए।
मजदूरों ने तुरंत अपनी जिम्मेदारी समझी। उन्होंने इस खजाने को अपने पास रखने की लालच नहीं की। बल्कि, उन्होंने तुरंत इसकी सूचना स्थानीय पंचायत अधिकारियों को दी।
पंचायत अधिकारियों ने भी बिना देर किए पुरातत्व विभाग को इसकी जानकारी दी। पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों ने बुधवार को आकर इन वस्तुओं की जांच की और बताया कि ये चीजें बहुत पुरानी और कीमती हैं।
राज्य पुरातत्व विभाग के निदेशक ई. दिनेशन ने इस खजाने के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस संग्रह में सबसे नया सिक्का 1826 का है। इसका मतलब है कि ये सारी चीजें कम से कम 200 साल पुरानी हैं।
इस खजाने में क्या-क्या था? आइए जानते हैं:
- 13 सोने के लॉकेट
- 17 स्टड
- 5 लॉकेट
- 5 अंगूठियां
- कई सारे सिक्के
ये सभी चीजें या तो सोने की थीं या फिर चांदी की।
इस खजाने में मिले सिक्के भी बहुत खास हैं। कुछ सिक्के वेनिस के ड्यूकैट की श्रेणी के हैं। ये सिक्के 1670 और 1700 के बीच बनाए गए थे। उस समय लोग इन सिक्कों को एक चेन में पिरोकर गहने की तरह पहनते थे।
इसके अलावा, इस संग्रह में फ्रांसीसी भारत के सिक्के भी मिले हैं। साथ ही, अरक्कल वंश के अली राजा द्वारा इस्तेमाल किए गए सिक्के भी इसमें शामिल हैं।
इस खोज ने इतिहास के कई अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला है। पुरातत्व विभाग के निदेशक ने बताया कि इस क्षेत्र में अब तक कोई गहन अध्ययन या उत्खनन नहीं हुआ था। लेकिन अब यह स्थान पुरातत्व के नजरिए से बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।
चेंगलई गांव एक नदी के किनारे बसा है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि यह जगह पुराने समय में व्यापार का एक प्रमुख केंद्र रही होगी। विभिन्न देशों के सिक्कों की मौजूदगी इस बात का सबूत है कि यहां अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता था।
इस खोज ने इस क्षेत्र में और अधिक खोज की संभावनाओं को जन्म दिया है। पुरातत्व विभाग अब इस इलाके में और गहन अध्ययन करने की योजना बना रहा है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में यहां से और भी ऐतिहासिक खजाने मिलें।
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